अंतराष्ट्रीय

ड्रैगन ने नेपाल को बनाया ठिकाना, भारतीयों को ठग रहे चीनी जालसाज

नेपाल में रह रहे चीन के जालसाज सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। इसके चलते नेपाल आव्रजन विभाग ने चीनी नागरिकों की अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए पुलिस के साथ मिलकर बड़ी जांच शुरू कर दी है। पिछले सात वर्षों में अवैध रूप से रह रहे 1,468 चीनी नागरिकों को निर्वासित किया गया है। बावजूद इसके चीनी जालसाज अपनी चाल से बाज नहीं आ रहे हैं। इस काम में चीनी जालसाज नेपाल के नागरिकों को लालच देकर उनका भी सहयोग हासिल करते हैं।

बीते 22 अप्रैल को नेपाली अधिकारियों ने 22 संदिग्ध चीनी नागरिकों को पकड़ा था। उनके पास से 35 लैपटॉप, 675 मोबाइल फोन सेट और 760 नेपाली सिम कार्ड जब्त किए गए। जिसकी जांच अभी तक जारी है। अभी नेपाल के पास इस तरह के सीमा-पार ऑनलाइन लेनदेन की जांच करने के लिए कोई कारगर तकनीक नहीं है। इसी का लाभ चीनी नागरिक उठाते हैं। नेपाल सरकार ने साल 2020 में 233 चीनी नागरिकों को अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए देश से निर्वासित किया था। इनमें से 48 को तय अवधि से अधिक समय तक रहने के लिए जबकि 185 लोगों को विभिन्न अन्य अपराधों में शामिल होने के कारण निर्वासित किया गया था।

चीनी जालसाज ठगी के साथ ही कई अन्य प्रकार की अवैध गतिविधियों में भी लिप्त हैं। बीते कुछ सालों में इनकी गतिविधियां तेजी से बढी है। इनमें से कुछ मानव तस्करी, सोने की तस्करी और नकली मुद्रा व पासपोर्ट रखने के आरोप में भी गिरफ्तार किए गए हैं।

निशाने पर भारतीय
बीते दिनों पुलिस के गिरफ्त में आए दो चीनी और 100 से अधिक नेपाली नागरिकों ने बातचीत में खुलासा किया था कि वे आनलाइन लोन का झांसा देकर भारत के नागरिकों को अपने जाल में फंसाते थे। इस बात की पुष्टि काठमांडू के पुलिस अधिकारियों ने भी की थी। इसके पहले भी पुलिस इस तरह के कई रैकेटों का खुलासा कर चुकी है।

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