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क्या सियासी फिजाओं में घूम रहे वादे, घोषणाएं और गारंटी की बातें! 2022 चुुनाव अहम मुद्दे से जनता..?

देहरादून से शगुफता परवीन की रिपोर्ट: एक ओर जहां उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता की कमान संभालते ही शासन स्तर पर फेरबदल शुरू कर दिया है. एक बार फिर उत्तराखंड राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद अब चर्चाओं का बाजार गर्म है.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि उत्तराखंड में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में उत्तराखंड समेत जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां राजनीति शुरू हो गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार आगामी विधानसभा चुनाव 2022 राजनीति में फ्री बिजली का मुद्दा अहम रहने वाला है।
उत्तराखंड में इन दिनों मुफ्त बिजली दिए जाने के वादे से चुनावी सियासत गरमाई हुई है. उत्तराखंड में इन दिनों फ्री बिजली के वादे, घोषणाएं और गारंटी की बातें सियासी फिजाओं में घूम रही है. बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी जैसे सभी राजनीतिक दल इन दिनों फ्री बिजली के वादे पर सवार होकर 2022 विधानसभा चुनाव जीतने का सपना संजो रहे हैं.
गौर हो अटकलें लगाई जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली का मुद्दा काफी अहम होने वाला है. हर दल फ्री का वादा कर जनता को लुभाने में लगा है, मगर क्या प्रदेश की जनता के लिए फ्री का सौदा कहीं भविष्य में महंगा साबित तो नहीं होगा? ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि फ्री बिजली के वादों के बीच प्रदेश की जनता से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे गायब तो नहीं हो जाएंगे?
आगामी 2022 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल जनता से जुड़े तमाम मुद्दों को उठातें हैं. हर राजनीतिक दल इससे संबंधित वादे भी करती हैं. इस बार ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत की ओर से मुफ्त बिजली दिए जाने के दावे के बाद, राजनीतिक पार्टियों ने भी मुफ्त बिजली दिए जाने की घोषणा करते हुए इसके प्रचार-प्रसार में जुट गईं हैं.
आपको बता दें कि सबसे पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुफ्त बिजली दिए जाने की बात कही थी. हरदा ने करीब 6 महीने पहले कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो प्रदेश की जनता को 200 यूनिट फ्री बिजली देगी. हालांकि उस दौरान मुफ्त बिजली के इस वादे पर किसी का इतना ध्यान नहीं गया.
तो वहीं दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के 100 यूनिट बिजली मुफ्त दिए जाने के बाद इस मामले की चर्चा तेज हुई. हरक सिंह रावत के वादे के बाद ही आम आदमी पार्टी ने भी 300 यूनिट मुफ्त बिजली दिए जाने की बात कह डाली.
वहीं आम आदमी पार्टी ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली दिए जाने की कवायद भी तेज कर दी है. लगातार आम आदमी पार्टी जनता के बीच अपने इस मुफ्त बिजली के वादे को पहुंचाने के लिए घर-घर जाकर गारंटी कार्ड बांट रही है. जिसमें इस बात का जिक्र है कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के सभी नागरिकों को 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देगी.
कुछ भी कहो इस बार मुफ्त बिजली राजनीतिक दलों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहने वाला है, जी हां इन दिनों फ्री बिजली देने की चर्चाएं चारों तरफ फिजाओं में घूम रही है।फ्री बिजली दिए जाने की चर्चाएं इन दिनों तेज़ है. सभी राजनीतिक पार्टियां मुफ्त बिजली दिए जाने जैसी घोषणाएं कर रही हैं, लेकिन कोई भी प्रदेश की मुख्य समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रहा है. न ही उस पर बात करना चाह रहा है.
2022 आगामी विधानसभा चुनावों में फ्री बिजली के वादों के बीच अन्य चुनावी मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए बहुत मायने रखते हैं. ऐसे में क्या आने वाले चुनावों में जनता से जुड़े असल मुद्दे गायब हो जाएंगे? फिलहाल ये तो आने वक्त ही बताएगा।
उत्तराखंड की 1.30 करोड़ जनसंख्या को मुफ्त की योजनाएं देना दलों के लिए तो राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है. लेकिन अर्थशास्त्री राज्य के लिए इसे बड़ा नुकसान मानते हैं. राज्यवासियों को मुफ्त की योजनाओं से आकर्षित करने के प्रयास राज्य सरकारें करती रही हैं.
हालांकि राजस्व के रूप में इसका भारी नुकसान होता है. राजनीतिक रूप से इसे बड़ा कम माना जाता है. इस पर राज्य सरकार के शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल कहते हैं कि कई बार राजस्व की चिंता किए बिना सरकार को लोगों के हितों में कदम उठाने पड़ते हैं.
आर्थिक रूप से भारी दबाव होने के बावजूद भी जनता को प्राथमिकता देते हुए उनकी जरूरतों और मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुफ्त की योजनाओं को उन तक पहुंचाना होता है.
वहीं, जानकार कहते हैं कि सरकार लोगों को राहत देने के लिए उनके आर्थिक स्थितियों को देखते हुए योजनाएं बना सकती है. इसमें लोगों के बिलों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है, लेकिन सभी लोगों को फ्री बिजली या योजना का लाभ देना राज्य हित में नहीं है.
उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति आय 202695 है. इससे समझा जा सकता है कि राज्य में बड़ी संख्या में लोग बिजली का बिल देने में सक्षम हैं. ऐसे भी बीपीएल परिवारों को इसमें कुछ राहत दी जा सकती है.
ऐसे में एक बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि, क्या आखिर आगामी साल 2022 विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली दिए जाने का मुद्दा ही चर्चाओं में रहेगा. जिस तरह से मुफ्त बिजली को लेकर सियासत चमकाने की कोशिश हो रही है उससे साफ जाहिर है कि आने वाले समय में भी मुफ्त बिजली दिए जाने का मुद्दा अहम रहने वाला है.

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