ब्यूरो रिपोर्ट: साल 2022 का चुनावी दंगल करीब है। सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुटी हैं, लेकिन इस बार मुकाबला आसान नहीं होगा। प्रदेश में आम आदमी पार्टी की एंट्री हो गई है। आप जोर-शोर से चुनाव अभियान में जुटी है, सियासी विकल्प बनने का दावा कर रही है। बीजेपी और कांग्रेस आम आदमी पार्टी को ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में बीजेपी संगठन युद्ध स्तर पर लग गया है. पार्टी के संगठन से जुड़े नेताओं का उत्तराखंड दौरा लगातार हो रहा है. भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एक्टिव मोड में आ चुकी है. इसको लेकर भाजपा लगातार अपने चुनावी कार्यक्रमों की रणनीति तैयार कर रही है.
2022 में होने वाली उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए राजनीतिक दलों में सांगठनिक उथल-पुथल के साथ ही सत्ता की चाबी की तलाश जारी है। भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के प्रचार के सामने गैर भाजपा दलों को कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
मोदी लहर के चलते चौथी विधानसभा में अप्रत्याशित 57 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी ने ‘अब की बार साठ पार’ का नारा दिया, लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के नेतृत्व में जनता का विश्वास हासिल करना बेहद मुश्किल था।
लिहाजा, भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन बयानों से उपजे विवाद के चलते पार्टी नेतृत्व ने जनता के भरोसे के लिए एक बड़ा अभियान चलाया। सत्ता और संगठन को बदल कर युवा विधायक पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी.
संगठनात्मक स्तर पर हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बिठाया गया है। वहीं कांग्रेस ने गढ़वाल मंडल से गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और कांग्रेस की चुनावी कमान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सौंपी.
हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस में राजनीतिक जीवन की संभावना को देखते हुए सर्वे रिपोर्ट में बीजेपी के साठ के लक्ष्य को भी चुनौती दी गई है. बीजेपी और संघ के सर्वे में जमीनी हकीकत जानने के बाद बीजेपी हर सीट पर वैचारिक रूप से जीतने वाले चेहरे की तलाश में है.
भाजपा के अंदर करीब दो दर्जन सीटों पर चेहरे बदलने की कवायद के चलते टिकट कटने को लेकर विधायकों में बवाल हो गया है. भाजपा स्वच्छ छवि और विजयी चेहरों के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विधानसभा स्तर पर बूथ लेबल तक जनता को कार्यकर्ताओं से तौल रही है। बीजेपी की रणनीति को चुनौती देने के लिए कांग्रेस भी परिवर्तन यात्रा की तैयारी कर रही है.
घनसाली विधानसभा में कांग्रेस के दावेदार पूर्व प्रखंड प्रमुख धनी लाल शाह, पूर्व विधायक भीम लाल आर्य, पूर्व जिला पंचायत सदस्य दिनेश लाल, स्वैच्छिक सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी शूरबीर लाल और युवा चेहरा मकान लाल हैं.
चुनाव की तैयारी में लगे पूर्व विधायक भीमलाल आर्य कांग्रेस के टिकट पर भले ही 2017 में चार हजार नावों पर सिमट गए। धनी लाल शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दस हजार से अधिक वोट पाकर अपना दावा मजबूत कर रहे हैं। पूर्व विधायक बलबीर सिंह नेगी नए चेहरे के रूप में दिनेश लाल के साथ जनसंपर्क कर अपने दावेदारी को बढ़ा रहे है। शूरबीर लाल और मकान लाल अपनेअपने संपर्कों के जरिए दावा कर रहे हैं।
वहीं भाजपा में कोरोना महामारी की पहली लहर में सेवा संगठन की भावना से पूरे विधानसभा में मास्क, सेनेटाइजर, राशन किट, संघ कार्यकर्ता, सामाजिक उद्यमी, समाजसेवी से अपनी पहचान बनाई है. कार्यकर्ता, दर्शन लाल आर्य और सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी सोहन लाल, खंडेवाल तैयारियों में लगे हैं।
सोहन लाल खंडेवाल को चुनाव लड़ने का भी अनुभव है। घनसाली विधानसभा में जनता भाजपा और कांग्रेस के दावेदारों को उनकी कार्य प्रणाली और जनता के भरोसे के अनुसार आगे बढ़ाएगी।घनसाली विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होना है. घनसाली विधान सभा के क्षेत्रो में राज्य मंत्री अब्बल सिंह बिष्ट की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है। अब यह समय ही तय करेगा कि पांचवीं विधानसभा के लिए किसके भाग्य की बारी आती है।
सीएम पद की शपथ लेते ही पुष्कर सिंह धामी एक्शन में नजर आए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी मंत्रियों को बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश को विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर बनाए रखने के लिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मूल मंत्र पर राज्य सरकार काम करेगी। अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुंचाने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है।
उन्होंने कहा कि मैं युवाओं के बीच काम कर रहा हूं और मैं उनके मुद्दों को अच्छी तरह समझता हूं। कोविड ने उनकी आजीविका को प्रभावित किया है। कहा कि जिस पार्टी ने मुझे उत्तराखंड की जनता की सेवा के लिए चुना है, उसकी उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा।