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मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से दिमाग पर पड़ सकते हैं ये 5 नकारात्मक प्रभाव

आज के समय में मोबाइल फोन जीवन की हर समस्या का समाधान बन गया है। आप चाहें अपने मन को बहला रहे हों या गणित के मुश्किल सवालों का हल खोज रहे हों, मोबाइल के पास सभी सवालों के जवाब हैं। इसी वजह से लोग मोबाइल उपकरणों पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं। हालांकि, मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से आपके दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आइए इसके पीछे के विज्ञान को समझते हैं।

कॉग्निटिव क्षमता को कर सकता है खराब
शोध से पता चला है कि मोबाइल आपकी अनुभूति पर खराब प्रभाव डाल सकता है। यह विचार, अनुभव और इंद्रियों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने और लागू करने की प्रक्रिया है। दरअसल, मोबाइल के वजह से अब मानसिक रूप से संख्याओं की गणना करने, चीजों को याद रखने या किसी रास्ते को भी याद रखने की जरूरत नहीं है। इसी वजह से आप अपने दिमाग पर काम नहीं करते हैं, जिससे कॉग्निटिव क्षमताएं धीरे-धीरे कम हो जाती हैं।

सामाजिक और भावनात्मक स्किल्स पर डालता है नकारात्मक प्रभाव
वास्तविक दुनिया की समस्याओं के लिए वास्तविक दुनिया के समाधानों की ही जरूरत होती है, न कि डिजिटल समाधान की। इसी लिए हर छोटी या बड़ी असुविधा के लिए मोबाइल पर निर्भर न रहें क्योंकि यह आपकी स्किल्स को कमजोर कर सकता है। मोबाइल का इस्तेमाल तब एक समस्या बन जाता है, जब यह आपकी व्यावहारिक गतिविधियों और दूसरों के साथ बातचीत को कम कर देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे समस्या को सुलझाने की स्किल्स कम हो जाती हैं।

नींद के पैटर्न को कर सकता है खराब
यदि आप ध्यान देंगे तो आपको पता चलेगा कि सोने से पहले मोबाइल फोन का इस्तेमाल वास्तव में आपकी नींद की गुणवत्ता और इसकी साइकिल को खराब कर देता है। यह देर रात तक सोशल मीडिया फीड चेक करने से ही नहीं है, बल्कि मोबाइल फोन से निकलने वाली खतरनाक नीली रोशनी के कारण ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह आपके मेलाटोनिन के स्तर को गंभीर रूप से कम कर सकता है, जो नींद लाने में मदद करता है।

मानसिक रूप से बना सकता है आलसी
अब आपको अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए मोबाइल फोन पर केवल एक टच करने की जरूरत है, न कि लाइब्रेरी जाकर किताबों को खोजने और उन्हें पढऩे की। इसके अलावा अब आपको अपने प्रियजनों के फोन नंबर भी याद रखने की कोई जरूरत नहीं होती क्योंकि वह सभी फोन में सेव होते हैं। इन्हीं कारणों से लोग मोबाइल पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर होता है और यह आलसी बना देता है।

आंखों को भी प्रभावित कर सकता है मोबाइल

यदि आप अपने फोन को बिना किसी रुकावट के लंबे समय तक लगातार पास से देखते हैं तो यह मायोपिया का कारण बन सकता है। मायोपिया एक ऐसी आंख की बीमारी है, जिसमें आप पास की चीजों को तो स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। महामारी के बाद से लोगों के स्क्रीन टाइम में तेजी से वृद्धि हुई है, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए एक चिंता का विषय है।

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