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ब्रेकिंग: CM धामी ने SDRF मुख्यालय में किया पौधरोपण! कही ये महत्वपूर्ण बात..

 डोईवाला से जावेद हुसैन की रिपोर्ट: उत्तराखंड में आज ‘हरेला पर्व’ धूमधाम से मनाया जा रहा है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रदेशवासियों को ‘हरेला पर्व’ की शुभकामनाएं दी हैं। ये परंपराओं और संस्कृति से जुड़ा पर्यावरण संरक्षण का ‘पर्व’ है।

हरेला एक हिंदू त्यौहार है जो मूल रूप से उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में मनाया जाता है . हरेला पर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आता है-

1- चैत्र मास में – प्रथम दिन बोया जाता है तथा नवमी को काटा जाता है.

2- श्रावण मास में – सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में बोया जाता है और दस दिन बाद श्रावण के प्रथम दिन काटा जाता है.

3- आश्विन मास में – आश्विन मास में नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है.

दिल्ली दौरे के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी डोईवाला के एसडीआरएफ मुख्यालय में पहुंचे।एसडीआरएफ में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व की शुरुआत की। एसडीआरएफ मुख्यालय जॉली ग्रांट में सीएम पुष्कर धामी ने पौधरोपण किया।

एसडीआरएफ मुख्यालय पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

बता दें कि एसडीआरएफ मुख्यालय पहुँचने पर SDRF द्वारा मुख्यमंत्री का गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत किया गया। गार्ड ऑफ ऑनर के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यालय परिसर में हरेला पर्व पर पौधारोपण कर क्षेत्र वासियों को हरेला पर्व की बधाई दी।

इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 7 करोड़ रुपये की Oxigen एक व्यक्ति अपने जीवन में ले जात है। इस लिए सभी को पेड़ लगाना अति आवश्यक है, और उतना ही आवश्यक पेड़ों का संरक्षण भी है।

उन्होंने कहा कि हरेला पर्व हमें प्राकृतिक संरक्षण की ओर ले जाता है। कोरोना काल मेें जिस प्रकार से अपनी भूमिका निभाई है वह सराहनीय रही है।

 

इस दौरान दिल्ली में ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन पर विस्तार पुर्वक चर्चा की गई। जिसका कार्य तीव्र गति से कराया जायेगा। इस अवसर पर उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के साथ मंत्री धन सिंह रावत के साथ तमाम अधिकारी हैं मौजूद।

दरअसल सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है. इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि 5 या 7 प्रकार के बीजों को बो दिया जाता है. नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं. दसवें दिन इसे काटा जाता है. 4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है.

घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं. घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है! इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी! साथ ही प्रभू से फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है.

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