लालकुआं से मुकेश कुमार की रिपोर्ट: लालकुआ क्षेत्र में स्थापित सबसे बड़ी फेक्ट्रियो में शुमार सेंचुरी पेपर मिल द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण से क्षेत्रवासी प्रभावित है मिल के प्रदूषण से लोग अकाल मृत्यु कि मौत मर रहे हैं वही पूर्व में प्रदूषण को लेकर लोगो कि जिलाधिकारी से लेकर ना जाने कितने बड़े अधिकारियों वार्ता हुई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात।
बताते चलें कि लालकुआ में हजारो लोगों को रोजगार देने वाली एशिया की सबसे बड़ी पेपर मिल में शुमार लालकुआ सेंचुरी पेपर मिल पिछले कई दशकों से क्षेत्रवासियों को रोग परोस रही है। मिल की असमान छूती चिमनिया से निकालने वाला जहरीला धूएं ने नगर ही नहीं बल्कि इसके आस पास गांव को भी अपनी जद में ले रखा है। वही मिल के केमिकल युक्त दूषित नाले ने कितने लोगों को आपने आगोश में ले लिया है यहां कोई नहीं जानता है।
इसी को लेकर कई बार स्थानीय लोगों ने प्रर्यावरण बोर्ड में शिकायत ही नहीं कि बल्कि मील गेट से लेकर उप जिलाधिकारी कार्यालय तक धरना दिया। लेकिन मिल प्रबंधक कि ऊची पकड़ के चलते यहां समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।
सन 1984 में तात्कालिन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के मकसद से बिरला ग्रुप की पेपर मिल स्थापित की जिसको लोग सेंचुरी पेपर मिल से जानते हैं जो कि पुरे एशिया की सबसे बडे़ पेपर उघोग के रूप में जानी जाती है। लेकिन यहां मील हजारों लोगों को रोजगार देने के साथ ही आपनी चिमनियोंं से निकलने वाले जहरीले धुएं से सक्रमण रोग भी परोस रही है।
वही बात करें बीते बर्षो कि तो मील से निकलने वाले जल, वायु, ध्वनि के प्रदूषण ने लोगों का जीना दूभर हो गया है। वही मील से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित नाले ने किसानों की फसलों को भी चोपट किया हुआ है। मील से निकलने वाले जहरीले प्रदूषण से निजात दिलाने की मांग को लेकर लालकुआ, घोड़ानाला, बिन्दुखत्ता, हल्दूचोड, शान्तिपुरी क्षेत्र के लाखों क्षेत्रवासी शासन प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
माना जाये तो बिरला ग्रुप को प्रशासन ने भी प्रदूषण परोसने की खुली छूट दे रखी है। वही मील प्रबन्धन ने भी प्रदूषण से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं। वहीं मील से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित पानी ने ग्रामीणों की जमीनों को बंजर कर दिया है। जिसे लोगो को काफी परेशानी हो रही है।
वही पूर्व में मिल से निकाल रहे जहरीले दूषित नाले को भूमिगत करने की मांग को लेकर अन्दोलित लोगो कि मांग पर जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच कामेठी प्रभावित क्षेत्रों में पहुची जहां जांच टीम ने दूषित पानी के सेम्पल भी भरे जिसकी जांच के लिए लेब में भेजी गई लेकिन आज तक इस जांच का पता नही चला कहे तो जांच ढाक के तीन पात साबित हुई है।