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उत्तराखंड के हर स्वास्थ्य केंद्र पर होगी गर्भवती महिलाओं की एचआईवी, सिफलस रोग की स्क्रीनिंग, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए पांच साल तक मिलेंगे 797 करोड़

देहरादून। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत प्रदेश के प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उप केंद्रों में गर्भवती महिलाओं की एचआईवी और सिफलस रोग की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में संभावित गर्भवती महिलाओं की संख्या के आधार पर दो लाख जांच किट खरीद कर स्वास्थ्य केंद्रों को उपलब्ध कराई हैं। बुधवार को एनएचएम और राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी की ओर से राज्य स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र में गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच और सिफलस रोग की स्क्रीनिंग के लिए डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें प्रत्येक जिले से दो डॉक्टरों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनएचएम निदेशक डॉ.सरोज नैथानी ने बताया कि प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं की एचआईवी व सिफलस रोग की स्क्रीनिंग की जाएगी। जिससे गर्भवतियों में एचआईवी व सिफलस रोग को समाप्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि गांव स्तर पर होने वाले ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के दौरान भी गर्भवती महिलाओं को एचआईवी व सिफलस रोग की जांच की सुविधा मिलेगी।

कार्यशाला में एनएचएम के प्रभारी अधिकारी डॉ.पंकज कुमार सिंह ने कहा कि औषधि प्रतिरोधक टीबी का उपचार अब नई पद्धति के अनुसार किया जाना है। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार डॉ.अभिषेक, प्रदेश टीबी नियंत्रण टास्क फोर्स की अध्यक्ष एवं एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.प्रदीप अग्रवाल, हिमालयन मेडिकल कालेज से डॉ.आर खंडूड़ी, डॉ. वी जेठानी आदि मौजूद थे।

स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए पांच साल तक मिलेंगे 797 करोड़
कोरोनाकाल की दुश्वारियों से सबक लेते हुए उत्तराखंड के गांवों, शहरों और कस्बों में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए अनुदान के रूप में पांच साल में 797 करोड़ रुपये मिलेंगे। 15वें वित्त आयोग की इस सिफारिश को धरातल पर उतारने के लिए प्रदेश सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही इस वित्तीय वर्ष के लिए 150 करोड़ रुपये की किस्त जारी होगी। यह धनराशि ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए व्यय होगी।

स्वास्थ्य विभाग होगी नोडल एजेंसी, जल्द जारी होगी पहली किस्त
वित्त विभाग पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को धनराशि जारी करेगा। स्वास्थ्य विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है, लेकिन धनराशि खर्च को लेकर उपयोगिता प्रमाण पत्र स्थानीय निकाय देंगे। इस लिहाज से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार पर निकायों की निगेहबानी रहेगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की जा रही है। इस समिति में सचिव शहरी विकास, सचिव पंचायती राज, सचिव स्वास्थ्य और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी सदस्य बनाए गए हैं। वित्त विभाग स्थानीय निकायों को स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए अनुदान की पहली किस्त जारी करने की तैयारी कर रहा है। जल्द किस्त जारी हो जाएगी। पहली किस्त 150.12 करोड़ रुपये की होगी।

पांच साल में 797.09 करोड़ इन मदों में होंगे खर्च

72.21 करोड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधा बढ़ाने के लिए।
66.47 करोड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ढांचा सुधारने के लिए।
17.32 करोड़ स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी ढ़ांचा बनाने के लिए।
11.78 करोड़ से ब्लॉक स्तर पर लोक स्वास्थ्य इकाइयां बनेंगी।
433.14 करोड़ शहरी स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों के लिए।
7.57 करोड़ भवन रहित उपकेंद्रों के लिए।
188.6 करोड़ ग्रामीण पीएचसी व एचएसी को स्वास्थ्य व आरोग्य केंद्र में बदलने के लिए।

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