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कांवड़ यात्रा स्थगित! सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती..

ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: कोरोना संक्रमण के कारण सरकार को लगातार दूसरे वर्ष भी कांवड़ यात्रा स्थगित करनी पड़ी है। कोरोना संक्रमण के कारण कांवड़ यात्रा पर लगातार दूसरे साल रोक लगाई गई है। सीएम धामी एक्शन मोड में है। वह अपनी जनता को लेकर काफी गंभीर है। इसलिए कोरोना के चलते कांवड यात्रा को स्थगित कर दिया गया। 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा के संबंध में सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में कोविड के डेल्टा प्लस वैरियेंट पाए जाने और कोविड की तीसरी लहर की आशंका व देश-विदेश में इसके दुष्प्रभावों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

हमने उच्च अधिकारियों के साथ कांवड़ यात्रा के संदर्भ में बातचीत की। ऐसे समय में जब कोविड वैरिएंट प्रदेश में मिला है। इस स्थिति में हम हरिद्वार को कोरोना महामारी का केंद्र नहीं बनाना चाहते इसलिए हमने कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का फ़ैसला किया है। इस संबंध में विशेषज्ञों की राय पर भी विचार किया गया। 

सीएम ने कहा कि मनुष्य के जीवन की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आगामी कांवड़ यात्रा  को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जगह-जगह एकत्र हो रही भीड़ को देखते हुए की गई अपील और विभिन्न संगठनों, बुद्धिजीवियों व जनता की राय राज्य सरकार के कांवड़ यात्रा को स्थगित करने के निर्णय का आधार बनी। अब सरकार के सामने मुख्य चुनौती कांवड़ यात्रा की अवधि के दौरान दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को रोकने की है। अगर पड़ोसी राज्यों ने कांवड़ यात्रा पर रोक न लगाई तो उत्तराखंड सरकार के समक्ष खासी परेशानी खड़ी हो सकती है। इस कारण अब सरकार व शासन की नजर अन्य राज्यों के रुख पर टिकी हुई है।

प्रदेश में चारधाम यात्रा को लेकर हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद से ही कांवड़ यात्रा को लेकर संशय था। कारण यह कि सरकार ने चारधाम यात्रा केवल तीन जिलों के स्थानीय निवासियों के लिए सीमित संख्या में शुरू करने का निर्णय लिया था।

हालांकि इस पर हाईकोर्ट ने सख्य टिप्पणी करते हुए सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी थी। हालांकि सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है। यही कारण रहा कि पूर्ववर्ती तीरथ सिंह रावत सरकार ने गत 30 जून को कांवड़ यात्रा स्थगित करने का निर्णय लिया था।

नेतृत्व परिवर्तन के बाद नई सरकार के सामने असमंजस की स्थिति तब पैदा हुई, जब उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने कांवड़ यात्रा शुरू करने की बात कही। इसका सीधा असर उत्तराखंड पर पड़ना तय था। दरअसल, कांवड़ यात्रा में विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु गंगाजल लेने हरिद्वार आते हैं। इनकी संख्या कुछ लाख नहीं, बल्कि दो से ढाई करोड़ के आसपास होती है। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को प्रदेश की सीमा पर रोक पाना सरकार के बस में नहीं है.

कारण यह कि हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान प्रदेश सरकार अन्य राज्यों से भी पुलिस के जवानों को बुलाती है। ऐसे में यदि लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन सीमा में आते तो इनकी आरटीपीसीआर अथवा एंटीजन जांच, मास्क और शारीरिक दूरी की अनिवार्यता का अनुपालन कराना संभव नहीं था। उन्हें रोकने की स्थिति में टकराव के हालात बन सकते थे।

हालांकि, यात्रा स्थगित होने के बावजूद यह चुनौती अभी भी प्रदेश सरकार के सामने यथावत है। यह बात सरकार भी समझ रही है। इसीलिए मुख्यमंत्री ने सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक को यथोचित कार्यवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने ये भी निर्देश दिए कि पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए प्रभावी कार्यवाई के लिए अनुरोध किया जाए। जिससे वैश्विक माहमारी को रोकने में सफलता मिल सके।

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