ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: राजधानी देहरादून से एक बड़ी ख़बर सामने आई है। देहरादून के पटेल नगर थाना क्षेत्र में पुलिस और खाद्य विभाग की संयुक्त टीम ने बुधवार को सरसों तेल की फैक्ट्री में छापेमारी की. छापामारी के दौरान फैक्ट्री में बिना डिस्ट्रीब्यूटर लाइसेंस के और जांच के बिना ही कई नामी कंपनियों का लेबल लगाकर सरसों के तेल की सप्लाई की जा रही थी. खाद्य विभाग की टीम ने सरसों के तेल का सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए है. साथ ही मामले में अग्रिम कार्रवाई जारी है.
प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार राणा ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र देहरा खास में सरसों तेल की फैक्ट्री मानकों की अनदेखी कर तेल की सप्लाई करने की सूचना मिली थी. इसके बाद एक टीम का गठन कर कार्रवाई के लिए रवाना किया गया. इस दौरान पुलिस टीम ने औद्योगिक क्षेत्र देहरा खास पटेल नगर से निकल रहे एक लोडर वाहन को रोक कर चेक किया तो उसमें सरसों तेल के 15-15 लीटर के 39 पीपे लदे पाए गए, जो कि बिना ब्रांड लेबल लगे हुए थे।
इसके अलावा अलग-अलग ब्रांड के 15 लीटर सरसों तेल के 71 पीपे बरामद किए गए. लोडर चालक मौके पर सरसों तेल का बिल भी नहीं दिखा सका. तभी पुलिस की टीम ने सीनियर फूड सेफ्टी ऑफिसर को जानकारी देकर तत्काल मौके पर बुला लिया. जब खाद्य विभाग की टीम ने सरसों तेल को चेक किया तो पाया कि फैक्ट्री मालिक द्वारा मानकों का उल्लंघन कर सरसों तेल की सप्लाई की जा रही है. प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि बिना बिल और ब्रांड लेवल के सरसों तेल व अन्य तेलों की सप्लाई नहीं की जा सकती है.
वहीं, पुलिस और खाद्य विभाग टीम ने संबंधित सरसो तेल की फैक्ट्री शगुन एग्रो ऑयल में छापेमारी की कार्रवाई की. टीम ने जांच में पाया कि फैक्ट्री मालिक शगुन एग्रो के पास आंचल रिफाइंड और आंचल सरसों के तेल की रीपैकर का लाइसेंस तो है, लेकिन अन्य किसी ब्रांड के सरसों तेल के विक्रय का लाइसेंस नहीं है. इसके अलावा फैक्ट्री मालिक संजीव गुप्ता की ओर से तेल की रीपैकिंग से पहले उसकी शुद्धता की जांच के लिए फैक्ट्री में शुद्धता ऑल टेस्टिंग मशीन भी नहीं लगाई गई है.
वहीं, प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार राणा ने बताया कि फैक्ट्री मालिक द्वारा बिना शुद्धता की जांच किए तेल की सप्लाई की जा रही है. फैक्ट्री में कई प्रकार के ब्रांड के तेल लेबस लगे हुए रखते थे. इस तरह के मामले खाद सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आते हैं, जिसमें 6 महीने का कारावास और 3 से 5 लाख रुपए तक के अर्थदंड का प्रावधान है.