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दुःखद: नहीं रहें 80 वर्षीय नाट्य निर्देशक उर्मिल कुमार थपलियाल

देहरादून: जाने माने नाट्य निर्देशक, व्यंग्यकार और लखनऊ रंगकर्म के स्तंभ उर्मिल कुमार थपलियाल (80 वर्ष )का मंगलवार को निधन हो गया। वे आंतों के कैंसर से पीड़ित थे और बीते कुछ दिनों से लखनऊ के नोवा अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन से लखनऊ ही नहीं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली और मुंबई का रंगमंच भी शोक में डूबा है।
उर्मिल कुमार थपलियाल बीते महीने कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे. नवाबों के शहर लखनऊ में अपनी कला के दम पर अपना लोहा मनवाने वाले उर्मिल थपलियाल का निधन मंगलवार को शाम करीब 5.30 बजे उनके आवास पर हुआ.
रंगमंच के साथ हिंदी व्यंग्य विधा को नौटंकी शैली में परोसने वाले इकलौते कद्दावर लेखक और नाटककार उर्मिल कुमार थपलियाल ने पिछले छह दशकों से ज्यादा समय तक कला, संस्कृति और रंगमंच की सेवा की. करीब 80 साल के उर्मिल थपलियाल कैंसर की बीमारी से ग्रसित थे.
प्रसिद्द रंगकर्मी, नाट्य लेखक, नाट्य निर्देशक, साहित्यकार, व्यंगकार, स्तंभकार, कवि, बोलियों के रंगमंच पर पीएचडी, नौटंकी के आधुनिक स्वरूप को शहरी जनता में स्थापित कर अपनी विशिष्ट शाई नागरी नौटंकी के जनक आदरणीय उर्मिल कुमार थपलियाल का काम पूरे भारत में मशहूर है।
कानपुर में प्रोफेसर सत्यमूर्ति द्वारा स्थापित नाट्य संस्था दर्पण की लखनऊ में स्थापना 1972 में हुई। उसके संस्थापक सदस्यों में उर्मिल कुमार थपलियाल भी शामिल थे। शुरुआती दिनों में बतौर अभिनेता मंच पर दिखने वाले उर्मिल कुमार थपलियाल का रुझान धीरे-धीरे नाट्य निर्देशन में हुआ।
उनके साथी रंगकर्मी डॉ. अनिल रस्तोगी बताते हैं, हजारों नाटकों का निर्देशन कर चुके उर्मिल कुमार के निर्देशन में मैंने अपने कॅरियर के सबसे ज्यादा नाटक किए हैं। नौटंकी से लेकर व्यंग्य तक में महारत हासिल थी उन्हें। उनके बिना दर्पण ही नहीं लखनऊ का रंगमंच सूना हो गया।

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