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नशा मुक्ति केंद्र का काला सच! ड्रग्स के नाम पर लड़कियों से जबरन रेप! वॉर्डन और मैनेजर गिरफ्तार

ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: उत्तराखंड के नशा मुक्ति केंद्र में नाबालिग लड़कियों के साथ हुई दरिंदगी और हैवानियत की ये कोई पहली घटना सामने नहीं आई है. चहारदीवारियों के पीछे हुई दरिंदगी की घटना में देहरादून के कई संस्थान पहले भी बदनाम हो चुके हैं. देहरादून में लोगों से ड्रग्स की लत छुड़वाने के लिए चलने वाले प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्र में नाबालिगों से रेप करने का मामला सामने आया है.
देहरादून में नशा मुक्ति केंद्र में युवतियों से दुष्कर्म और छेड़खानी के आरोपी संचालक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह ऋषिकेश के श्यामपुर में छिपा हुआ था। पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। 
शर्मनाक: नाबालिग लड़कियों के साथ नशा मुक्ति केंद्र में दुष्कर्म! संचालिका गिरफ्तार
सेंटर की वॉर्डन पर लड़कियों को ड्रग्स देने और मैनेजर पर रेप करने का आरोप लगा है. विरोध करने पर लड़कियों की पिटाई भी की जाती थी. सेंटर से किसी तरह भागकर आईं 4 लड़कियों ने पुलिस में केस दर्ज कराया, जिसके बाद वॉर्डन और मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया गया है.
दरअसल गुरुवार 5 अगस्त को सुबह साढ़े 5 बजे लड़कियों ने सेंटर की वॉर्डन को रूम में लॉक किया और भागने में कामयाब रहीं. जिसके बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया था. क्लेमेंटाउन के प्रकृति विहार स्थित वॉक एंड विन सोबर लिविंग होम नाम के नशा मुक्ति केंद्र से चार नाबालिग लड़कियां भाग गई थीं.
नाबालिग लड़कियों ने केंद्र का मुख्य द्वार बाहर से बंद कर दिया था. दो घंटे बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई तो उनकी खोजबीन शुरू हुई. पुलिस ने शुक्रवार 6 अगस्त की दोपहर को एक युवती को बंजारावाला क्षेत्र से पकड़ लिया. इसके बाद पुलिस ने अन्य तीन लड़कियों को त्यागी रोड स्थित एक होटल से खोज निकाला.
इनमें से एक लड़की ने पुलिस को खुलकर आपबीती बताई. युवती से पता चला कि नशामुक्ति केंद्र में बहुत गलत काम होते थे. युवती ने पुलिस को बताया कि वह स्मैक की आदी हो गई थी. इसलिए उसके माता-पिता ने बीते 20 मई को इस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करा दिया था.
शुरूआत में सब ठीक-ठाक रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद उसके पास केंद्र का संचालक विद्यादत्त रतूड़ी आया और उसे स्मैक देने का लालच दिया. उसने स्मैक के बदले शारीरिक संबंध बनाने की शर्त रखी. इसके बाद दुष्कर्म किया और उसे स्मैक का नशा देता रहा. पीड़ित लड़कियों का कहना है कि नशा मुक्ति केंद्र में लड़कियों से संचालक ने कई बार दुष्कर्म किया. जबकि, कुछ लोगों के साथ छेड़छाड़ भी करता था. यही कारण था कि चारों आबरू बचाने को वहां से भाग निकलीं.
एक पीड़िता के मुताबिक उसने पहली बार गलत हरकत करने पर संचालक विद्यादत्त को थप्पड़ मार दिया था. इसके बाद उसे मार भी खानी पड़ी. बाद में सबको बचाने के लिए उसने भागने की योजना बनाई. इस काम में उसके मुंह बोले भाई ने भी साथ दिया. उसी ने त्यागी रोड पर एक होटल बुक कराया था.
इस घटना के बाद थप्पड़ मारने वाली लड़की ने सोच लिया था कि वह खुद और अन्य लड़कियों को भी यहां से निकालेगी. इनमें ज्यादातर लड़कियां अपने घर नहीं जाना चाहती थीं. इसका कारण था कि उन्हें यह यह डर था कहीं उनके मां-बाप उन्हें दोबारा नशा मुक्ति केंद्र में न भेज दें. ऐसे में पीड़िताओं में एक लड़की ने अपने एक मुंहबोले भाई को फोन किया. उसके भाई ने उन्हें वहां से बाहर निकालने की योजना बताई.
प्लानिंग के तहत गुरुवार 5 अगस्त का दिन तय हुआ. उस वक्त वहां पर सिर्फ वॉर्डन विभा सिंह होती थी. मौका पाकर उन्होंने विभा को कमरे में धक्का दिया और बाहर से दरवाजा बंद कर वहां से निकल आईं. रास्ते में ही उन्हें लड़की का मुंहबोला भाई मिल गया. उसने पहले से ही त्यागी रोड पर एक होटल उनके लिए बुक किया हुआ था. पुलिस को जब पहली लड़की मिली तो उसने लड़के के बारे में बता दिया था. इसके बाद उसके मोबाइल नंबर की लोकेशन के आधार पर त्यागी रोड स्थित एक होटल से उन्हें बरामद कर लिया गया.
इनमें से तीन लड़कियां तो लड़के के साथ होटल चली गईं, लेकिन एक लड़की अपने घर चली गई. वह जैसे ही घर पहुंची तो उसके माता-पिता ने उसे गालियां देनी शुरू कर दीं. धमकियां दीं कि वे उसे दोबारा नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कर आएंगे. इस डर से वह रात में ही वहां से भाग गई. चूंकि रात का समय था तो ज्यादा दूर नहीं जा सकी. उसने घर के पास में ही एक दुकान के पीछे जैसे-तैसे रात बिताई और अगले दिन पुलिस के सामने हाजिर हो गई.
आरोपी संचालक और वॉर्डन को इस बात पर यकीन था कि उनका प्लान फुलप्रूफ है और इसका कभी भी राज नहीं खुलेगा. इसके लिए वे दोनों लड़कियों को डराकर ही रखते थे. माता-पिता को सबकुछ ठीक होने का पता चल सके इसके लिए संचालक अक्सर वीडियो कॉल कराता था, वहां पर बारी-बारी से सबकी बात कराई जाती थी. लड़कियां मार-पिटाई के डर से सब कुछ ठीक बता देती थीं.
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि एक दिन नशा मुक्ति केंद्र के वॉशरूम में कुछ लड़कियां ड्रग्स ले रही थीं. पूछने पर पता चला कि मैनेजर के साथ यौन संबंध बनाने पर जितना चाहो उतना ड्रग्स मिल जाएगा. वहां लड़कियों को ड्रग्स के नाम पर जबरन रेप किया जाता और इनकार करने पर डंडे से पिटाई की जाती. इतना ही नहीं, सजा के तौर पर नुकीले कोने वाले स्टूल या फिर टूटी हुई ईंट पर भी कई घंटे तक बैठाया जाता था. जबरन संबंध बनाने के अलावा बर्तनों की धीमी धुलाई या फिर तेज आवाज में बातचीत जैसी चीजों के लिए भी सजा दी जाती थी.
पूरे मामले की जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों ने भी माना कि नशा मुक्ति केंद्र में विरोध करने पर सजा के तौर पर महिलाओं को छड़ी से पीटा जाता था या घंटों टूटी ईंटों या नुकीले स्टूलों पर बैठने को मजबूर किया जाता था.
पीड़िताओं ने अपनी शिकायत में कहा कि नशा मुक्ति केंद्र का प्रबंधक लड़कियों को नशीला पदार्थ देने के बाद उनके साथ दुष्कर्म करता था और वॉर्डन उसके साथ मिली हुईं थीं. आरोप है कि इसके बाद कई बार इसी तरह से उसने दुष्कर्म किया. इसकी शिकायत जब उसने विभा सिंह से की तो उसने डंडों से उसे पीटा. अन्य युवतियों ने भी पुलिस को बताया कि संचालक उनके साथ भी बहुत भद्दी तरह से छेड़छाड़ करता था. शिकायत करने पर विभा सिंह बुरी तरह मारती थी.
क्लेमेंटाउन के प्रकृति विहार स्थित वॉक एंड विन सोबर लिविंग होम नाम के नशा मुक्ति केंद्र नियमों को ताक पर रखकर संचालित होता था. फरवरी 2021 में केंद्र के संचालक विद्यादत्त रतूड़ी और वॉर्डन विभा सिंह ने ऑनलाइन केंद्र चलाने के लिए अनुमति ली थी. नशा छोड़ने के लिए जो लोग आवेदन करते थे, उनके घर दोनों आरोपी खुद ही पहुंच जाते थे. दोनों ने दो मंजिला भवन किराये पर लिया और केंद्र शुरू कर दिया.
केंद्र के निचले तल पर 17 युवक रखे थे, जबकि ऊपर मंजिल में पांच युवतियां रह रही थीं. ईटीवी भारत की जांच पड़ताल में बड़ा सच सामने आया कि जब नशा मुक्ति केंद्र में चिकित्सक और काउंसलर थे ही नहीं तो आखिर नशा छुड़वा कौन रहा था?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों आरोपी नशा छुड़ाने के नाम पर पीड़ितों के परिजनों से तीन से छह हजार रुपये फीस वसूलते थे. लेकिन केंद्र में मेडिकल की कोई सुविधा नहीं थी. सेंटर में रह रहे युवकों ने बताया कि वह खुद ही खाना बनाते थे. केंद्र संचालक बीड़ी और तंबाकू का पैकेट देकर उन्हें कमरे में बंद करके चला जाता था.
एसओ क्लेमेंटाउन धर्मेंद्र रौतेला ने बताया कि केंद्र के संचालक विद्यादत्त और विभा खुद भी नशे के आदी थे. नशा छोड़ने के लिए वह नेहरू कालोनी क्षेत्र में एक केंद्र में पहुंचे. दोनों ने कुछ महीने बाद उसी केंद्र में काम शुरू कर दिया, इसके बाद दोनों ने अपना केंद्र खोलने की योजना बनाई और लोगों को लूटने लगे.
देहरादून के नशा मुक्ति केंद्र में लड़कियों के साथ हुई दरिंदगी हैवानियत की कोई पहली घटना नहीं है. चाहे वह देहरादून नारी निकेतन में संवासिनी से दुष्कर्म का मामला हो या फिर बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से दरिंदगी की घटना. राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) में छात्र-छात्राओं के यौन शोषण के मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है.
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नारी निकेतन केदारपुरम में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म का मामला सामने आया. पुलिस पड़ताल में पता चला कि संवासिनी का गर्भपात भी कराया और भ्रूण को जंगल में दफना दिया गया. इसमें मुख्य आरोपी समेत कुल नौ लोगों को सितंबर 2019 में सजा सुनाई जा चुकी है.
दृष्टि दिव्यांगों के केंद्रीय संस्थान एनआईईपीवीडी में दृष्टि दिव्यांग छात्र-छात्राओं से दुष्कर्म का मामला सामने आया. इस मामले में संगीत शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. संस्थान में कई तरह की सुविधाएं इस घटना के बाद बढ़ाई गईं हैं और मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
सहसपुर थाना क्षेत्र के एक बोर्डिंग स्कूल में नौवीं की छात्रा से दुष्कर्म की बात सामने आई. चार नाबालिगों और डायरेक्टर समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. 2020 में आरोपियों को सजा भी सुनाई गई. मुख्य आरोपी छात्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
देहरादून शहर क्षेत्र के तीन और नशा मुक्ति केंद्रों में संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं। इन केंद्रों में भर्ती युवतियों ने एक अधिकारी को आपबीती बताई है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इन नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। 
डीएलएसए की टीम लगातार उनसे संपर्क बनाए हुए है। इन्हें विधिक सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। 
पुलिस ने भी नशा मुक्ति केंद्रों के सत्यापन के लिए कमर कस ली है। सोमवार को एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने सभी थाना प्रभारियों को केंद्रों के सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं। इसमें वहां भर्ती होने वाले लोगों की स्थिति भी जांची जाएगी।
साथ ही रहन-सहन की व्यवस्था कैसी है, वहां कोई डॉक्टर आता है या नहीं, साइकोलॉजिस्ट के विजिट के क्या प्रबंध हैं? इन सब बातों को देखा जाएगा। उन्होंने शुरूआती पड़ताल की जल्द से जल्द रिपोर्ट थानों से मांगी है। 

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