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तीसरा चुनाव आयुक्त है ही नहीं!

चुनाव आयोग के सामने बहुत बड़ा मामला लंबित है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे शिव सेना के बारे में फैसला करना है। दो राज्यों के चुनाव अगले दो महीने में होने वाले हैं। गुजरात के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने तो अपने यहां के चुनाव का शिड्यूल भी जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि नंवबर के अंत तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। बहरहाल, दो राज्यों के चुनाव हैं और शिव सेना के मामले में चुनाव आयोग को अहम फैसला करना है और आयोग में तीसरे चुनाव आयुक्त का पद खाली है। अभी मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा एक चुनाव आयुक्त हैं। तीसरे चुनाव आयुक्त का पद चार महीने से खाली है। इस साल मई में सुशील चंद्र रिटायर हुई। उसके बाद से नई नियुक्ति नहीं हुई है।

चुनाव आयुक्त का पद संवैधानिक होता है और आमतौर पर खाली नहीं रहता है। आखरी बार 2015 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव के समय तीसरे आयुक्त का पद खाली था। तब भी दो ही सदस्यों के साथ आयोग काम कर रहा था। सात साल बाद फिर ऐसी स्थिति है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अलावा दूसरे चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय हैं और तीसरा पद खाली है। जब तक कोई विषय नहीं आता है, तब तक कोई बात नहीं है। लेकिन मुश्किल तब आएगी, जब किसी मसले पर गतिरोध हो जाए। शिव सेना के मामले में फैसला करते हुए दोनों आयुक्त की राय बंट जाए तब क्या होगा? या दो राज्यों के चुनाव के मामले में भी अगर गतिरोध बने यानी टाई हो तो टाई ब्रेकर कौन होगा? इस चक्कर में फैसला टल रह सकता है। इसलिए जितनी जल्दी हो सरकार को तीसरा चुनाव आयुक्त नियुक्त करना चाहिए।

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