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उत्तराखंड में बनेगा सख्त नकलरोधी कानून, 10 करोड़ तक जुर्माना, तीन साल तक की सजा और संपत्ति भी होगी कुर्क, जानिए और क्या हैं प्रावधान

देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण के बीच सख्त नकलरोधी कानून बनाने जा रहा है। आयोग ने इसका प्रस्ताव पास कर दिया है। ड्राफ्ट बनाकर जल्द ही शासन को भेजा जाएगा। यह कानून इसी साल फरवरी में आए राजस्थान के नकलरोधी कानून की तर्ज पर सख्त होगा। चयन आयोग में पेपर लीक का यह अपनी तरह का पहला मामला है, लेकिन करीब पांच परीक्षाओं में कई तरह की गड़बड़ियां पहले सामने आ चुकी हैं। इनमें जेई इलेक्ट्रिकल की परीक्षा दोबारा हुई थी तो वन आरक्षी की परीक्षा भी हरिद्वार के सात केंद्रों पर दोबारा कराई गई थी। इन दिनों स्नातक स्तरीय परीक्षा में परीक्षा से पहले ही सवालों के उम्मीदवारों तक पहुंचने का मामला आयोग के लिए चुनौती बनकर खड़ा है।

आयोग ने नकल माफिया पर शिकंजा कसने के लिए नया नकलरोधी कानून बनाने का निर्णय लिया है। इस कानून का प्रस्ताव आयोग ने पास कर दिया है। अब इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए राजस्थान के नकलरोधी कानून का अध्ययन किया जा रहा है। इसके साथ ही कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के नकलरोधी कानून का भी अध्ययन किया जा रहा है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी का कहना है कि पेपर लीक का यह मामला सामने आने के बाद आयोग ने नए नकलरोधी कानून का प्रस्ताव पास कर दिया है। अब राजस्थान और एसएससी के नकल रोधी कानून का अध्ययन करने के बाद आयोग के नकल रोधी कानून का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। इसके बाद सरकार इसे पास करेगी।

अभी तक यह हैं प्रावधान
अभी तक पेपर लीक का कोई भी मामला प्रकाश में आने के बाद उत्तराखंड के नकल रोधी कानून के तहत आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 120 बी या हाईटेक नकल होने पर आईटी एक्ट में ही मुकदमे दर्ज होते हैं। आयोग का मानना है कि इन अपराधियों के लिए कानून के यह प्रावधान कमतर हैं।

10 करोड़ तक जुर्माना, संपत्ति भी होगी कुर्क
राजस्थान के नकलरोधी कानून की तर्ज पर नकल गिरोह के सदस्यों पर दस लाख से दस करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकेगा। इसके अलावा उनकी संपत्ति भी कुर्क की जा सकेगी। साथ ही नकल का अपराध साबित होने पर पांच से दस साल की सजा का भी प्रावधान किया जाएगा।

नकल करने वालों पर एक लाख जुर्माना, तीन साल तक की सजा
किसी गिरोह के संपर्क में आकर नकल करने वाले उम्मीदवारों पर भी आयोग सख्त सजा का प्रावधान करने जा रहा है। अगर कोई उम्मीदवार किसी नकल गिरोह से पेपर खरीदने का दोषी पाया गया तो उस पर एक लाख रुपये जुर्माने के साथ ही तीन साल तक की सजा भी हो सकेगी। अगर छात्र उस नकल गिरोह का सदस्य पाया गया तो गिरोह के हिसाब से ही उस पर कार्रवाई की जाएगी।

नकल करते पकड़े गए तो दो साल तक बाहर
नकल करते पकड़े जाने पर दो साल तक किसी भी तरह की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकेंगे। आयोग की ओर से नकल रोकने को यह भी नया प्रावधान किया जा रहा है।

एसपी स्तर का अधिकारी करेगा जांच
राजस्थान की तर्ज पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं में पेपर लीक या नकल को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। नकल और पेपर लीक की जांच एडिशनल एसपी स्तर का अफसर ही कर सकेगा। नकल रोकने को जांच एजेंसी में एंटी चीटिंग सेल भी बनाई जा सकती है।

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