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उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओ को पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया तलब! 

ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस से बड़ी ख़बर सामने आई। भाजपा ने कुमाऊं से मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस की उलझन और बढ़ा दी है। इसे भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।कांग्रेस पर अब विधायक मंडल का नेता चुनने को लेकर दबाव बन गया है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष तय होना है या फिर प्रदेश अध्यक्ष पद को भी बदला जाना है, इसको लेकर पिछले 1 महीने से कांग्रेसी कशमकश में है, लेकिन अभी तक कोई भी फैसला नहीं हो पाया है।

विधायकों के साथ साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं हरीश रावत, प्रीतम सिंह, किशोर उपाध्याय , प्रकाश जोशी और काजी निजामुद्दीन सभी से कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन फैसला अभी तक नहीं हुआ। ऐसे में पिछले 2 दिनों से उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम नेता दिल्ली में थे।

दिल्ली में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गजों की मुलाकात हुई, जिसमें पार्टी अध्यक्ष प्रीतम सिंह केंद्रीय महासचिव हरीश रावत, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय , प्रकाश जोशी और काजी निजामुद्दीन ने भी राहुल गांधी से मुलाकात की। राहुल गांधी से इन नेताओं की मुलाकात कल भी हुई थी और आज भी हुई।

ऐसे में माना जा रहा है कि अब पार्टी उत्तराखंड के नेतृत्व को लेकर जल्द फैसला कर सकती है लेकिन अब जो फैसला लेना है वह पार्टी आलाकमान को ही लेना है, और वह इसमें कितने दिन लगाती है, यह भी देखना दिलचस्प होगा लेकिन इतना जरूर है कि ऐन चुनाव से पहले इस तरह की गिरफ्त आकाशी कांग्रेस के लिए कहीं परेशानी भी खड़ी कर सकती है।

नेतृत्व के मुद्दे पर भाजपा में परेशानी उठी तुम्हें 3 से 4 दिनों में उन्होंने अपने second-line के लीडर को खड़ा कर मुख्यमंत्री बना दिया लेकिन कांग्रेस में यह स्थिति इतनी सुखद नहीं है और ना ही आलाकमान इतना मजबूत कि किसी पर भी हाथ रखे और पार्टी के तमाम नेता उसे अपना नेता मान ले।

ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि इस हफ्ते में कभी भी पार्टी आलाकमान नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश अध्यक्ष दोनों पदों को लेकर फैसला कर सकती है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि जो भी फैसला लेना है वह पार्टी आलाकमान को लेना है। हमने अपनी बात कह दी है, बाकी जो पार्टी आलाकमान तय करें कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह दिल्ली से वापस उत्तराखंड पहुंच गए हैं.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए जबकि प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी चाहते हैं कि चुनाव संयुक्त रूप से लड़ा जाए. प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बीच के मतभेद भी लगातार खबरों में रहे हैं. इन तमाम कारणों से कांग्रेस फैसला करने में असमर्थ दिख रही है.

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