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उत्तराखंड: अधिक भूमि खरीद और स्टैम्प शुल्क को लेकर राहत भरी ख़बर! मिली छूट

ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: उत्तराखंड से एक और बड़ी खबर सामने आ रही है जी हां उत्तराखंड में भू कानून मुख्यत: यहां कृषि भूमि को बचाने के लिए लागू किया गया था। लेकिन तथ्य यह है कि 2018 में इसमें किया गया संशोधन खासकर पर्वतीय क्षेत्र में उद्योग के लिए असीमित भूमि खरीद की छूट तो देता ही है, साथ ही इसके लिए तय प्रक्रिया के तहत स्टैम्प शुल्क पूरी तरह से माफ है।

उत्तराखंड में भू-कानून कृषि भूमि खरीदने वालों को हतोत्साहित नहीं बल्कि प्रोत्साहित करने वाला है। पर्वतीय क्षेत्र में उद्योग के लिए असीमित भूमि खरीद की स्वीकृति के साथ ही यह स्टैम्प शुल्क में भी 100 फीसदी की छूट देता है।

भूमि खरीद से संबंधित वरिष्ठ डीड राइटर राजेंद्र सिंह चिलवाल ने बताया कि वर्ष 2018 की उद्योग नीति के बाद से प्रदेश में यह प्रावधान लागू है। वैसे इसमें यह व्यवस्था भी है कि यदि खरीददार भूमि का निर्धारित प्रयोजन में उपयोग नहीं करता तो वह भूमि सरकार में समाहित हो जाती है।

दरअसल इस प्रकार के कुछ प्रकरणों पर मुकदमे चल भी रहे हैं लेकिन सच्चाई  है कि इसकी निगरानी की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं है और खरीददार इससे बचने के तरीके भी तलाश लेते हैं।

वर्ष 2020 में चकबंदी नियमावली राज्य कैबिनेट में भी पास की जा चुकी है लेकिन लागू यह अभी तक भी नहीं हुई है। भू-कानून के जानकार प्रो. अजय रावत ने बताया कि अभी तक चकबंदी प्रदेश के तीन गांवों तथा उत्तरकाशी के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में ही की जा सकी है।

खास बात यह है कि ये तीनों ही गांव कद्दावर राजनैतिक हस्तियों के गांव हैं। ये तीनों ही पौड़ी  जिले के हैं। जिन तीन गांवों में चकबंदी का नोटिफिकेशन हुआ है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का गांव खैरा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गांव पंचूर और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का पैतृक गांव औणी शामिल है।

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