ब्यूरो रिपोर्ट: देहरादून के साहिया क्षेत्र में आया 3.8 मैग्नीट्यूट का भूकंप यूं तो बहुत छोटा है, मगर इससे करीब एक करोड़ साल पुराना शहंशाही आश्रम फाल्ट फिर से चर्चा में आ गया है। क्योंकि, यह भूकंप इसी फाल्ट के दायरे में आया है। शहंशाही आश्रम फाल्ट को मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) भी कहा जाता है और ताजा भूकंप यह बताता है कि फाल्ट आज भी सक्रिय है। फाल्ट की सक्रियता के चलते पुरानी चट्टानें ऊपर बढ़ रही हैं।
वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. सुशील रोहेला के मुताबिक फाल्ट की सक्रियता बताती है कि भूगर्भ में तनाव जारी है और इससे भूकंपीय ऊर्जा पैदा हो रही है। गंभीर यह है कि उत्पन्न ऊर्जा के अनुरूप बेहद छोटे भूकंप ही आ रहे हैं। अंदेशा है कि भविष्य में यहां कभी भी सात या आठ रिक्टर स्केल का बड़ा भूकंप आ सकता है।
लिहाजा, सरकार को भूकंपरोधी भवनों पर अधिक ध्यान देना होगा। वैसे भी दून भूकंप के अति संवेदनशील जोन चार व पांच में आता है। वर्तमान में यहां छोटे भूखंडों पर ऊंचे भवन खड़े करने या 30 मीटर से अधिक ऊंचाई के भवन बनाने की कवायद चल रही है। ऐसे में विशेष सतर्कता की जरूरत है।
वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. आरजे पेरुमल के मुताबिक इन सभी फाल्ट में कम से कम 10 हजार साल पहले सात व आठ रिक्टर स्केल तक के भूकंप आ चुके हैं। इनकी वर्तमान में भी सक्रियता बताती है कि भविष्य में बड़े भूकंप आ सकते हैं।
वहीं मंगलवार को देहरादून में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके की तीव्रता अधिक नहीं थी, लेकिन भूकंप के झटके महसूस होने पर घरों से लोग बाहर निकल आए थे। कम तीव्रता के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ। रेक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.8 आंकी गई। जिसका केंद्र साहिया के निकट बताया गया। भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन-4-5 में आने वाले दून में दोपहर बाद 1:42 बजे कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए।