ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक है। सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुटी हैं, सभी दल के नेता अपनी-अपनी पार्टियों को एकजुट करने में लगे हुए हैं, तो वहीं विधानसभा चुनाव को लेकर दौरा जारी है, लेकिन इस बार मुकाबला आसान नहीं होगा।
अगले साल उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. इसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियां बनाने में जुटे हुए हैं। प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस आम आदमी पार्टी को ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे, लेकिन इन तीनों पार्टियों को अब असदुद्दीन ओवैसी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से भी मुकाबला करना होगा।
दरअसल एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड में भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। एआईएमआईएम की एंट्री से आने वाले चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति अपने चरम पर होगी, जिससे भाजपा- कांग्रेस और आप का नुकसान होना तय है। ओवैसी की पार्टी की अल्पसंख्यक वोटरों में अच्छी पहुंच मानी जाती है। उत्तराखंड के कई जिलों में अल्पसंख्यक वोटरों की अच्छी खासी तादाद है।
हालांकि ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार के साथ हल्द्वानी और देहरादून में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समाज के लोग रहते हैं। उत्तराखंड का अल्पसंख्यक वोटर आमतौर पर कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है, हालांकि एआईएमआईएम की एंट्री के बाद उत्तराखंड की राजनीति में एक और नया मोड़ देखने को मिला है। पार्टी के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर नैयर काज़मी ने बताया कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अपने प्रत्याशियों को चुनावी अखाड़े में उतारेगी।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने जनता को ठगा है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। पार्टी उत्तराखंड में 22 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी, और जीतेगी भी। आगे की रणनीति बनाने के लिए असदुद्दीन ओवैसी जल्द ही उत्तराखंड आने वाले हैं। तो इस तरह एआईएमआईएम उत्तराखंड में चुनाव लड़ने का ऐलान कर एआईएमआईएम की एंट्री के बाद ये देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव किस करवट रंग लेता है? इस बार विधानसभा चुनाव 2022 में क्या कुछ खास होने वाला है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन सत्ता में आएगा?