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सतपाल महाराज के भाजपा कांग्रेस के राज में भी भरोलीखाल पडिण्डा मार्ग अभी भी अधर में लटका: इं DPS रावत

रिपोर्ट भगवान सिंह: सतपुली लोकसहिंता प्रतिनिधि: गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी इं. डीपीएस रावत ने कहा कि पिछले 20 सालो से क्षेत्रिय विधायक व पूर्व सांसद सतपाल महाराज ने चौबट्टाखाल के ग्राम सभाओं का निर्माण नहीं कर पाये!

भरोलीखाल पडिण्डा मार्ग भी पिछले कई सालों से लटका पड़ा है। क्षेत्रिय विधायक व सांसद को विकास से कोई मतलब नहीं है। जो ग्रामीण वासी गावं में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं उनसे जाकर मालूम करें कि क्षेत्रिय समस्या क्या है?

ग्रामसभा से ब्लॉक जाने तक कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचना पड़ता है। दिक्कत तो तब आती है जब गांव मे किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है, और उनको समय पर कोई सुविधा नहीं मिलती है। ग्राम सभा लेवल पर जंगली जानवरो का आतंक, पानी की समस्या, रोजगार, स्वरोजगार, शिक्षा आदि की दिक्कतो का सामना करना पड़ता है।

विधानसभा चौबट्टाखाल के वर्तमान विधायक महाराज व सांसद से ग्रामसभाओं की मुख्य मांगे हैं। भरोलीखाल-ऐरोली मोटरमार्ग जिसकी लम्बाई 3 किमी है। जो कि आज से 18 वर्ष पहले 2003-04 में बन चुका था। आजतक डामरीकरण और पक्के स्कपर नहीं बन पाए। भरोलीखाल-ऐरोली- चंदोली मोटरमार्ग जिसका ऐरोली से आगे चंदोली तक क लिये 5 किमी का निर्माण स्वीकृत होनी थी वह भी नहीं हो पाई।

इं० डीपीएस रावत ने कहा कि अभी 2 दिन बाद महाराज भरोलीखाल मैठाणा में एक ग्राउंड का उद्धघाटन करने जा रहे हैं। यह अवैध निर्माण एंव वन सम्पदा का एक जीता जागता उदाहरण है। जिस रोड पर यह ग्राउंड बन रहा है। वह सड़क ग्राम मैठाणा गावं के लोगों ने माननीय भूत पूर्व विधायक एवं सांसद तीरथ सिहं रावत द्वारा विधायक निधि से लाई गई रोड है। अब सतपाल महाराज द्वारा इस सड़क पर ग्राउंड बनाया जा रहा है जिसका पूरा मलवा सड़क और वन संपदा व विद्यालय परिसर को नुकसान पहुँचा रहा है जो कि सरासर गलत है।

क्या इस ग्राउंड को बनाने के लिये राजस्व , वन , पी॰डबल्यू॰डी॰ विभाग से कोई एन॰ ओ॰ सी॰ ली गयी है! देहरादून मे बैठकर केवल देश की जनता को अपने उपदेश देने से राज्य का कोई सुधार नहीं होगा?

इं० डीपीएस रावत ने कहा कि महाराज ने 25 सालो मे केवल बीजेपी कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टीयो की नैया पार लगाई। क्षेत्रिय जनता अभी भी राह देख रही है, जिस मकसद से राज्य बना था उस पर कोई भी पार्टी खरी नहीं उतर पाई है, चाहे बीजेपी कांग्रेस या यूकेडी हो। यूकेडी भी 2007 में चुनाव जीतने के बाद बीजेपी कांग्रेस की गोद में बैठने पर मजबूर हो गईं थी, पर क्षेत्रिय समस्याओं पर खरी नहीं उतर पाई है।

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