ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आगामी 2022 विधानसभा के चुनाव में कुछ माह का ही समय रह गया है।
कांग्रेस भी गजब कर रही है जहाँ सत्ता पक्ष में मुख्यमंत्री के पद को लेकर उठे तूफान को संगठन के रणनीतिकारों और विधायकों ने मिल बैठकर शांत कर दिया। भाजपा ने कुमाऊं से मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस की उलझन और बढ़ा दी है।
दरअसल ऐसे में सभी पार्टियों की तैयारियां जोरो पर हैं। सभी दल राजनीति की तैयारियों में पूरे दमखम से लगी हुई है। क्योंकि अगले साल है उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। प्रदेश में आगामी 2022 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के सीएम का चेहरा घोषित होने की चर्चा को लेकर इन दिनों चर्चाचाओं का बाजार गरम है। जिसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का बयान आया है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि चुनाव सम्पन्न होने के बाद हाईकमान मुख्यमंत्री तय करती है। उन्होंने कहा कि चुनाव सामुहिक नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। बीते सोमवार को मीडिया से बातचीत करने के दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान ने सामुहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के दून दौरे और मुफ्त बिजली के वादों को एक नाटक करार दिया है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि आप का प्रदेश में कोई राजनीतिक अस्तित्व ही नहीं है। झूठे वादों से चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाली आप पार्टी धरातल पर भी नहीं दिखेगी। उत्तराखंड और दिल्ली के हालात और बजट में जमीन आसमान का अंतर है।
भाजपा की मुफ्त बिजली की घोषणा पर भी उन्होंने कहा कि पहले ऊर्जा निगम की माली हालत और प्रदेश के राजस्व की स्थिति की समीक्षा कर लेनी चाहिए। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए जबकि प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी चाहते हैं कि चुनाव संयुक्त रूप से लड़ा जाए.