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तीर्थ पुरोहितों ने PM नरेन्द्र मोदी को खून से लिखा पत्र

ब्यूरो रिपोर्ट: उत्तराखंड चारधाम और देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विवाद थम नहीं रहा है. चारों धामों से जुड़े तमाम तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों ने न सिर्फ भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, बल्कि 17 अगस्त से प्रदेश स्तरीय आंदोलन का भी ऐलान कर दिया है. ऐसे में देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विरोध कर रहे तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों को मनाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.
देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों का आंदोलन अब तेज हो गया है। देवस्थानम बोर्ड भंग करने के लिए केदारनाथ के तीर्थपुरोहित संतोष त्रिवेदी ने खून से लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है।
उन्होंने पत्र में तीर्थपुरोहितों की रक्षा के लिए यथाशीघ्र देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि सनातन धर्म की पौराणिक परंपराओं के साथ छेड़छाड़ किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। केदारनाथ में बुधवार को आंदोलनकारियों ने नारेबाजी कर जुलूस निकाला। केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला के नेतृत्व में तीर्थपुरोहितों ने 58वें दिन भी क्रमिक धरना दिया।
उन्होंने कहा कि जब तक प्रदेश सरकार देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं करती, वे आंदोलनरत रहेंगे। एक सितंबर को जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में होने वाले प्रदर्शन में केदारघाटी के प्रत्येक गांव के ग्रामीण शामिल होंगे।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग किए जाने की मांग को लेकर चारधाम तीर्थपुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति ने 17 अगस्त से प्रदेश स्तरीय आंदोलन का ऐलान किया है. 17 अगस्त के बाद चारधाम समेत ऊखीमठ, खरसाली, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, ऋषिकेश और देहरादून में धरना प्रदर्शन किया जाएगा. पहले क्रमिक अनशन किया जाएगा, फिर आमरण अनशन किया जाएगा. प्रदेश सरकार का पुतला भी फूंका जाएगा. इसके बाद 16 सितंबर को सीएम आवास कूच किया जाएगा, जबकि पिछले दो महीने से तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों का धरना प्रदर्शन जारी है.

राज्य सरकार का कहना है कि चारधाम देवस्थानम अधिनियम, गंगोत्री-यमुनोत्री-बदरीनाथ-केदारनाथ और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है. जिसका मकसद ये है कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकें. इसके साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा कर सकेगा. बोर्ड में प्रदेश के मुख्यमंत्री को अध्यक्ष, धर्मस्व मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष और सम्बंधित क्षेत्रों के सांसद, विधायक और प्रमुख दानकर्ताओं को बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.

दूसरी तरफ देवस्थानम बोर्ड के विरोध में भाजपा से जुड़े तीर्थपुरोहितों का प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने का सिलसिला भी बना हुआ है। अब तक 26 तीर्थपुरोहित पार्टी छोड़ चुके हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार पर झूठे आश्वासन देने, तीर्थपुरोहितों को बांटने और हितों की अनदेखी का आरोप लगाया है। इस मौके पर संतोष त्रिवेदी, शुभांशु शुक्ला, अंकुर शुक्ला, मुकेश बहुगुणा, राजकुमार तिवारी, चमन लाल आदि मौजूद थे।

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