उत्तराखंड की भूमि, कृषि, उत्पादन और चकबंदी के सवालों के साथ आयोजित होगा हरेला
देहरादून से शगुफता परवीन की रिपोर्ट: धाद द्वारा आयोजित हरेला- घी संग्राद का शुभारम्भ स्मृति वन में सुन्दरलाल बहुगुणा, लाल बहादुर वर्मा, पंकज मेहर, प्रेमलाल भट्ट, मथुरा दत्त मठपाल के निमित्त पौधरोपण के साथ होगा। हिमालयी अनाजों के अभियान फंची में 1000 परिवारों को जोड़ने का रहेगा लक्ष्य।
सामाजिक संगठन धाद ने हरेला – घी संग्रांद के वार्षिक आयोजन का प्रारूप जारी कर दिया है. एक माह चलने वाले आयोजन में वृक्षारोपण के साथ हिमालयी कृषि उत्पादन के सवालों चकबंदी, भू कानून और भूमि बंदोबस्त पर ऑनलाइन विमर्श आयोजित होंगे साथ ही हिमालयी उत्पादन और उसके सवालों को आम समाज में प्रचारित करने का अभियान फंची चलाया जाएगा।
हरेला-घी संग्राद की नींव 2010 में धाद के कुछ साथियों ने वाल्मीकि मंदिर रेसकोर्स देहरादून में रखी थी। फिर हर साल अलग-अलग स्कूलों,संस्थान,मोहल्लों में उत्तराखण्ड की संस्कृति और प्रकृति पर्व के आयोजन के बाद 2015 में इसको उत्तराखण्ड सरकार को एजेंडा बनाने का प्रस्ताव दिया गया। तब से उत्तराखण्ड सरकार इसे हर वर्ष आयोजित करती है।
हरेला को आम समाज में ले जाने का अभियान जारी रखते हुए इस वर्ष हरेला-घी संग्रान्द का शुभारम्भ स्मृतिवन में पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मेहर, प्रगतिशील लेखक लाल बहादुर वर्मा, उत्तराखंड की मातृभाषाओँ के लेखक मथुरा दत्त मठपाल एवं प्रेम लाल भट्ट के निमित्त पौधे लगाने के साथ होगा।
स्मृति वन 2020 में धाद की पहल पर उत्तराखण्ड शासन द्वारा उपलब्ध करवाई गयी भूमि पर विकसित किया जा रहा है जिसमें उत्तराखंड की दिवंगत विभूतियों के साथ आम समाज के लोग अपने प्रियजनों के नाम पौधे लगाते हैं।
हरेला घी संग्रान्द के महीने इस वर्ष उत्तराखंड के निवासियों के साथ प्रवास में रह रहे सभी लोगों के लिए भी धाद ने तीन अपील जारी की है।
पहला आप जहां है वहां एक पौधा लगायें और उत्तराखंड की धरती से उपजे इस पर्व के साथ हरियाली का संदेश देश दुनिया तक पहुंचाए।
दूसरा राज्य हित में नए भू- कानून, भूमि बंदोबस्त और अनिवार्य चकबंदी का समर्थन करें।*
तीसरा उत्तराखण्ड हिमालय के खेत खलिहानों को आबाद रखने वाले उन सभी किसानों के उत्पादन को अपने भोजन में शामिल करें । और जब उसके व्यंजन बनाये तो उसकी फोटो सबके साथ शेयर करें और इस माह सोशल मीडिया पर चलाए जाने वाले पहाड़ी थाली अभियान का हिस्सा बनें* ताकि सब लोग ऐसा करने को प्रेरित हों.