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ओवैसी के उत्तराखंड चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अब राज्‍य में सियासत तेज़! 22 सीटों पर आजमाएगी किस्मत

ब्यूरो रिपोर्ट: यूपी के साथ उत्तराखंड में भी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसको देखते हुए पार्टियों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस बार उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में है. लेकिन उत्तराखंड की राजनीति में एक और नया मोड़ देखने को मिला है.

2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड में करीब 6 माह का समय शेष रहते राजनीतिक माहौल गरमाना तय है। इसी सप्ताह भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के राज्य आगमन की खबर के बीच सोमवार को भले केजरीवाल का उत्तराखंड दौरा टल गया हो, लेकिन अब देश के अन्य राज्यों में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तराखंड में चुनाव लड़ने के ऐलान कर दिया है।

एआईएमआईएम के उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद पार्टी ने उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के उत्तराखंड चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अब राज्‍य में सियासत तेज हो गई है.

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अब यूपी के बाद उत्तराखंड में भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. ऐसे में आने वाले चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति अपने चरम पर होने की संभावना है. 

जाहिर है उत्तराखंड में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अब ओवैसी की एंट्री से मुकाबला और भी दिलचस्प होने वाला है. ओवैसी की पार्टी की अल्पसंख्यक वोटरों में अच्छी पहुंच मानी जाती है. उत्तराखंड के कई जिलों में अल्पसंख्यक वोटरों की अच्छी खासी तादाद है. 

उत्तराखंड के आईएमआईएम अध्यक्ष डॉ. नय्यर काजमी ने कहा है कि पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अगले कुछ दिनों में राज्य का दौरा करेंगे। इसके साथ उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जबकि दोनों ने राज्य की जनता को ठगने का काम किया है, लेकिन इस बार जनता इनके जाल में फंसने वाली नहीं है। इसके साथ काजमी ने कहा कि इस बार हम राज्य की 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे और पूरी दमदारी के साथ प्रचार करते हुए जीत हासिल करेंगे।

ओवैसी के पहली बार उत्तराखंड आने से राज्य में राजनीतिक चर्चाएं तेज होनी तय हैं। ओवैसी यहां चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ एआईएमआईएममें मुस्लिम वोटों के लिए दिलचस्प खींचतान देखने को मिल सकती है।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड देहरादून, उधम सिंह नगर, हरिद्वार और हल्द्वानी में मुस्लिम वोटर काफी संख्या में रहते हैं। कहा जाता है कि पर्वतीय जनपदों में भी मुस्लिम गांव-गांव तक पैर पसार रहे हैं। अब तक मुस्लिम वोटों को कांग्रेस का परंपरागत वोट माना जाता रहा है, लेकिन सपा-बसपा भी पूर्व के चुनावों में इन वोटों में सेंधमारी करती रही हैं। बीते चुनाव में भाजपा ने भी मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा हासिल करने का दावा किया था।

इधर आम आदमी पार्टी भी इस वर्ग को साधती नजर आई है, जबकि एआईएमआईएम के आने के आने के बाद स्थितियां और दिलचस्प हो सकती हैं। इससे राज्य में धार्मिक आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति के चरम पर पहुंचने की संभावना भी बढ़ गई है।

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