ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना संकट काल में बसों से सफर करना महंगा होने वाला है। रोडवेज बसों के साथ-साथ टैक्सी-मैक्सी और ऑटो-विक्रम समेत हर तरह की परिवहन सेवा का मालभाड़ा बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। अगले सप्ताह तक इस प्रस्ताव को राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) को सौंपने की तैयारी है।
मालभाड़ा बढ़ाने पर अंतिम फैसला एसटीए की बैठक में लिया जाएगा। किराया बढ़ने से यात्रियों की जेब पर तो असर पड़ेगा. साथ ही उन्हें यात्रा में भी ज्यादा समय लगेगा. बस के साथ ही टैक्सी में भी सफर महंगा होने वाला है. इस तरह कोरोना काल में पहले ही महंगाई से जूझ रही जनता पर अब महंगे किराए की मार पड़ने वाली है।
वहीं उत्तराखंड में फरवरी 2020 में किराया और मालभाड़ा बढ़ा था। इसके बाद कोरोना संकट शुरू हो गया। कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी होने के बाद एसटीए अध्यक्ष एवं परिवहन आयुक्त ने किराया और मालभाड़ा के दोबारा निर्धारण के लिए समिति बनाई थी।
समिति को बाजार में डीजल-पेट्रोल, वाहन पार्ट्स के दामों में हुई वृद्धि के अध्ययन के आधार पर प्रस्ताव बनाना था। अब प्रस्ताव बन गया है, जिसे जल्द ही एसटीए को सौंपने की तैयारी है। प्रदेश में अभी तक एंबुलेंस और ई-रिक्शा का किराया तय नहीं है।
कोरोनाकाल में एंबुलेंस संचालकों ने किराये में खूब मनमानी की, लोगों से मनमाना पैसा वसूला। लगातार शिकायतें मिलने के बाद सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन को एंबुलेंस का किराया तय करना पड़ा था। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए एसटीए की बैठक में एंबुलेंस ई-रिक्शा का किराया भी तय किया जाएगा।
किराया और मालभाड़ा में बढ़ोतरी पर आखिरी फैसला राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक में लिया जाएगा। यदि किराया बढ़ा तो सबसे ज्यादा असर आमजन गरीब पर पड़गा।