मसूरी से वरिष्ठ संवाददाता सतीश कुमार की रिपोर्ट: : पुरकुल मसूरी रोपवे की योजना के तहत शिफन कोर्ट के 84 परिवारों को आज ही के दिन 2020 में बेघर कर दिया गया था जिसको लेकर आज शहीद स्थल झूला घर पर बेघर परिवारों के साथ सभी राजनैतिक एवं सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने 1 दिन का उपवास रखा और सरकार से मांग की कि शिफन कोर्ट के निवासियों को जल्द से जल्द छत मुहैया कराई जाए।
इस मौके पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए साथ ही निर्णय लिया गया कि 2 सितंबर मसूरी गोलीकांड के दिन यहां आने वाले नेताओं को काले झंडे दिखाए जाएंगे और 15 दिन बाद मसूरी विधानसभा से हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा जिसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा जाएगा।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि शिफन कोर्ट से विस्थापित हुए लोगों की सरकार ने कोई सुध नहीं ली है और ना ही अन्य दलों ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई की है जिसको लेकर एक बार स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी यूकेडी और कांग्रेस के पदाधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई लेकिन किसी तरह से मामला शांत करवाया गया।
नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि वह शिफन कोर्ट के लोगों के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और उन्होंने पालिका बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कर भूमि आवंटन कर शासन को भेज दिया लेकिन शासन स्तर पर इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
इस अवसर पर शिफन कोर्ट संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा ने कहा कि आज 1 वर्ष पूर्ण होने पर उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और जब तक शिफन कोर्ट के निवासियों को विस्थापित नहीं किया जाता है तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा उन्होंने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया और कहा कि वह 2022 में होने वाले चुनाव में नेताओं का बहिष्कार करेंगे।
इस अवसर पर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले विधानसभा सत्र में कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था जिसका पत्र आज भी उनके पास है लेकिन वर्तमान में नगर पालिका परिषद मसूरी द्वारा इसमें ढुलमुल रवैया अपनाया गया जिस कारण आज तक शिफन कोर्ट के निवासियों को न्याय नहीं मिल पाया है।
वही गूंज संस्था की अध्यक्ष सोनिया आनंद रावत ने कहा कि शिफन कोर्ट के निवासियों के लिए वे हर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और सड़क से लेकर सदन तक उनकी आवाज को उठाएंगे उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विधायक शिफन कोर्ट के मामले पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं और वह सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित रह चुके हैं उन्होंने घोषणा की थी कि माता मंगला द्वारा शिफन कोर्ट निवासियों के लिए आवास का निर्माण किया जाएगा लेकिन आज तक इस पर कोई भी कार्यवाही नहीं हो पाई है।
संघर्ष समिति के संयोजक प्रदीप भंडारी ने बताया कि शिफन कोर्ट के निवासी आज भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं और महिलाएं व बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं उन्होंने बताया कि 1 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी शिफन कोर्ट में लगाई जाने वाली रोपवे का कार्य अभी अधर में है और जो यहां के स्थानीय लोग हैं उनको बेघर कर दिया गया है जिसको लेकर लगातार आंदोलन किया जाएगा और जब तक उन्हें न्याय नहीं किया जाता है तब तक वह इस लड़ाई को जारी रखेंगे।