ख़बर इंडियाख़बर उत्तराखंड

मुशी प्रेमचंद जन्म दिवस पर आयोजित गोष्ठी में उनके साहित्य पर की चर्चा

मसूरी से वरिष्ठ संवाददाता सतीश कुमार की रिपोर्ट: हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर देववाणी प्रचारिणी सभा एवं आर एन भार्गव इंटर कालेज के संयुक्त तत्वाधान में अर्वाचीन भारत और प्रेमचंद पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें उनके साहित्य पर चर्चा की गई।

आरएन भार्गव इंटर कालेज के सभागार में आयोजित गोष्ठी में एमकेपी महाविद्यालय की पूर्व संस्कृत विभाग की अध्यक्ष मुख्य वक्ता डा. विद्या सिंह ने कहा कि उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का साहित्य आज भी उतना ही सार्थक है जितना उस समय था। उनके साहित्य में कहीं भी भोजपुरी नहीं मिलती जबकि वह उस क्षेत्र में रहते थे। वह जो लिखते थे उसी के अनुसार आचरण करते थे।

उन्होंने समाज के दबे कुचले लोगों को केंद्र में रखकर लिखा तथा जो लिखा वह दस्तावेजी भी है। क्यों कि इतिहास केवल बड़े लोगों व राजा महाराजाओ की बात करता है। उन्होंने जो लिखा उसमें आदर्श है तथा हृदय परिवर्तन करने वाला है। उनकी कहानियों में हमेशा संदेश रहता है। वह प्रगतिशील लेखकों में रहे तथा उनकी कहानियों व उपन्यासों में शोषित व शोषण मुख्य पात्र रहते थे।

इस मौके पर एमपीजी कालेज संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डा. प्रमोद भारती ने कहा कि मुंशी प्रेम चंद का साहित्य ऐसा साहित्य है जिसमें पूरे भारत वर्ष की तस्वीर मिलती है। उनकी कहानी बडे़ घर की बेटी, ईदगाह, पंच परमेश्वर, नमक का दरोगा हो या उपन्यास गोदान हो उसमें इतनी सरल भाषा का प्रयोग किया जो पढ़ने वाले के दिल को छू जाता है। उनका साहित्य एक दर्शन है। कार्यक्रम में डा. सोनिया आनंद ने कहा कि मुंशी प्रेम चंद का साहित्य मर्मस्पर्शी है, जो दिल को छू जाता है।

उन्होंने कहा कि साहित्य से उनका लगाव रहा है तथा कई बड़े साहित्यकारों की कविताओं का पाठ कई मंचों में किया है तथा कई कविताएं रिकार्ड भी की गई। कार्यक्रम का संचालन करते हुए देववाणी प्रचारिणी सभा के मंत्री पंकज अग्रवाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण गत दो वर्षो से सांस्कृतिक शून्य पैदा हो रखा था जो आज मुंशी प्रेम चंद की जयंती से टूटा है। उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेच चंद का साहित्य आज भी सार्थक है। और जो कड़ी शुरू की गई है उसे आगे भी जारी रखा जायेगा।

कार्यक्रम में आरएन भार्गव इंटर कालेज हिंदी की प्रवक्ता रंजना पंवार ने मुंशी प्रेमचंद की जीवनी पर प्रकाश डाला व कहा कि सेवा का व्यवसायी करण उस समय भी हो गया था जिस पर मुंशी प्रेमचंद ने मंत्र कहानी लिखी व कहानी के अंशों पर प्रकाश डाला व कहा कि उन्होंने पहले उर्दू में लिखना शुरू किया व बाद में हिंदी में लिखना शुरू किया।

अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य अनुज तायल ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर कमल कैंतुरा, सतीश कुमार, विजय भटट, डा. मयूष, भावना गोस्वामी, ममता राव, अनीता सक्सेना, रूपचंद गुरु जी आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *