रिपोर्ट भगवान सिंह पौड़ी गढ़वाल तीलू रौतेली पुरस्कार के नामों की सूची जारी हो गयी है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि आखिर ये तीलू रौतेली कौन थीं जिनके नाम से राज्य सरकार पुरस्कार दे रही है। पेश है यह खास…
उत्तराखंड में सत्रहवीं शताब्दी में तीलू रौतेली नामक वीरांगना ने 15 वर्ष की आयु में दुश्मनों के साथ 7 वर्ष तक युद्धकर 13 गढ़ों पर विजय पाई थी। वह अंत में अपने प्राणों की आहुति देकर वीरगति को प्राप्त हो गई थी। 15 से 20 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एक मात्र वीरांगना है।
गढ़वाल क्षेत्र तीलू रौतेली की वीरगाथा के गीत व कहानियों खूब लिखी गयी हैं। तीलू रौतेली के बचपन का अधिकांश समय बीरोंखाल के कांडा मल्ला, गांव में बिताया। आज भी हर वर्ष उनके नाम का कौथिग व बॉलीबाल मैच का आयोजन कांडा मल्ला में किया जाता है। आज स्वाती परिवार की ओर से एक कार्यक्रम रखा गया। जिसमें की तीलू रोतेली को सर्दांजली दी गई।
उत्तराखंड की बेटी होने नाते माननीय पर्यटक मंत्री सतपाल महाराज से हमारी एक विनती है कि जो तीलू रोतेली की जन्मस्थली है कुराड गांव वहां एक प्रयटक स्थान बनाया जाए जिससे की तीलू रोतेली का नाम वा उत्तराखंड का नाम पूरे विश्व में प्रचलित हो. कार्यक्रम में कुसुम राणा पूनम गुसाईं वसुंधरा बुटोला बीरेंद्र गुसाईं सूरज चौहान रचना भंडारी हिमानी भंडारी दिनेश भंडारी कैलाश सम्मलित रहे।