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काँग्रेस की मीडिया टीम में खुलेआम उठा गढ़वाल-कुमायूँ का मुद्दा! प्रदेश और केंद्रीय नेता असहज

ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: सत्ता का सपना देख रही कांग्रेस गढ़वाल-कुमाऊं के आत्मघाती युद्ध में फंस गई। यह खुली महाभारत कांग्रेस के दिग्गजों के बीच नहीं बल्कि हालिया मीडिया कमेटी के पदाधिकारियों के बीच देखा जा रहा है. पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश प्रवक्ता ने आलाकमान के निर्देश पर गठित मीडिया कमेटी को लेकर सोशल मीडिया में केंद्रीय नेताओं के फैसले पर निशाना साधा है. प्रदेश प्रवक्ता प्रतिमा सिंह और गिरीश चंद्र के फेसबुक पोस्ट में लिखी इबारत ने पार्टी में खलबली मच गई है।
दरअसल, गणेश गोदियाली के अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद 24 घंटे के भीतर गढ़वाल और कुमाऊं संभाग में दो मीडिया प्रभारी नियुक्त करने की घोषणा की गई. प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी को गढ़वाल का मीडिया प्रभारी तथा दीपक बल्यूटिया को कुमाऊं मंडल का मीडिया इंचार्ज नियुक्त किया है.
हालांकि इस फैसले की जानकारी प्रेस को भी दी गई। इस फैसले के विरोध में प्रदेश प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा। पोस्ट की समग्र लब्बोलुआब यह है कि दोनों मीडिया इंचार्ज कुमाऊं से बना दिये गए। पोस्ट में यह भी सवाल किया गया कि- अरे गढ़वाल वालों तुम्हें बोलना या चाटुकारिता नहीं आती।
इसके अलावा गिरीश चंद्र नाम के व्यक्ति ने इशारों में गरिमा मेहरा दसौनी की नियुक्ति का विरोध करते हुए लिखा गया कि- साढ़े चार साल की मुखबिरी और फिर रिश्तेदारी, ईनाम में मिल गयी एक मंडल की ओहदेदारी।
इस पोस्ट के निशाने पर भी गढ़वाल की मीडिया इंचार्ज गरिमा मेहरा दसौनी को रखा गया है। गरिमा मेहरा पूर्व सीएम हरीश रावत व कांग्रेस विधानमंडल दल के उपनेता करण माहरा कुमायूं से हैं। गरिमा मूलतः रानीखेत से ताल्लुक रखती हैं। पोस्ट की भाषा को लेकर पार्टी के अंदर विशेष हलचल देखी जा रही है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाल ही में प्रदेश प्रवक्ता बनी
प्रतिमा सिंह गाजियाबाद से ताल्लुक रखती हैं और मौजूद समय में देहरादून के डीएवी कालेज में प्रोफेसर हैं। इस घटनाक्रम के बाद दूसरे खेमे ने यह भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं कि गाजियाबाद की रहने वाली प्रतिमा सिंह को कैसे उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गयी। इस पूरे मामले को लेकर मीडिया कमेटी में वार-पलटवार शुरू हो गया है।
इधर, काँग्रेस की मीडिया टीम में खुलेआम गढ़वाल-कुमायूँ का मुद्दा उठाने से प्रदेश व केंद्रीय नेता भी असहज महसूस कर रहे है। इस प्रकरण को सोशल मीडिया में आने के बाद अनुशासनहीनता के दायरे में लाकर ठोस एक्शन लेने की भी बात उठने लगी है। दो दिन पहले भाजपा से दो दो हाथ करने के लिए कमर कस रही कांग्रेस के इस अंदरूनी गढ़वाल-कुमाऊं के शोर से पार्टी की रणनीति को भी करारा झटका लगने की उम्मीद है। सत्तारूढ़ भाजपा भी कांग्रेस के भीतर गढ़वाल-कामाऊं विभाजनकारी तकरार पर भी खास नजर रखे हुए है।

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