रिपोर्ट शिवराज राणा: पौड़ी गढ़वाल में थलीसैंण ब्लॉक के चौथा न सेरा मंडे गांव में 27 जुलाई 2021 से आज दिन तक लगातार अतिवृष्टि एवम् बादल फटने की घटना से सेरा में भारी नुकसान एवम् नदी के इस कहर ने अब गांव वालों का रात को सोना भी दूभर कर दिया नदी ने अपना रुख बदल दिया और सीधे गांव की ओर पलट चुकी है।
जिससे नदी के कहर से करीब 2,3 नाली जमीन तो बही साथ में 1.5 किलोमीटर की लंबी नहर जो गांव वालों के स्यार ( धान के खेतों) में सिंचाई के लिए पानी जाता था अब उस नहर का कोई पता नहीं चल पा रहा है और ग्रामीणों का कहना है कि यह अब हमारे विचार से परे है जहां 52 हल का स्यर(धान रोपाई वाले खेत अब सिंचाई से वंचित रह जाएंगे और सम्पूर्ण ग्राम वासियों की चिंता आग की तरह तेज होती जा रही है कि अब हम आगे क्या करें जिससे हम सभी ग्रामवासियों ने धान की रोपाई बड़ी मेहनत से की और आज दैवीय आपदा के कारण यह हमारी सिंचाई के साधन भी हम से छीन कर ले गया।
शासन प्रशासन से भी हमने अवगत कराया और उनका कहना भी है कि इस आपदा में किस किस की जो मदद की जाए ऐसे हाल में गांव वालों की मुसीबत बढ़ती जा रही है वह रात रात में अपने गोदी के बच्चों को लेकर मूसलाधार बारिश में रहने को मजबुर हैं ।
उनका कहना है कि घर के अंदर हमें डर लगता है कि कब हमारे मकान बह जाएंगे ! आज ग्रामवासियों का कहना है कि इसी गांव में सन् २००४ में भी भयंकर आपदा अाई थी जो कि इसी नदी के कहर से पांच पुल एक साथ बह गए थे और १,२ नाली जमीन एवम् कई सारे मवेशी भी बहे थे ।
उस समय से आज तक उन पुलों का निर्माण नहीं हुआ और सरकार बदलते रहे गांव के लिए बड़े बड़े वादे करते रहे लेकिन स्थिति जहां की तहां है। अब गांव वालों का कहना है की हमारी यह आपदा से राहत की मांग सीधे हमारे नव निर्वाचित मुख्यमंत्री धामी जी से है वह हमारी सरकार से तुरंत राहत दिलाएं जिससे गांव वाले रह बस सकें और राहत टीम गांव में भेजी जाएं और खतरे के निशान से गांव को उभारा जाए ।
गांव में सड़क सुविधा न होने से भी अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है वर्तमान विधायक Dr. धन सिंह रावत जी ने पिछले साल गांव तक रोड बनवाने को कहा था जो नवम्बर तक पूरा होना था वह भी आज राजनीतिक की भेंट चढ़ी है उस पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं। अब गांव वाले अपने आप को ठगे से महसूस कर रहे है और भविष्य की चिंता रात दिन लगी हुई है। वर्तमान सरकार से विनम्र निवेदन है कि सेरा मंडे गांव में तुरंत राहत की जरूरत है जिससे गांव वासी बस सकें।