ब्यूरो रिपोर्ट देहरादूनः उत्तराखंड से बड़ी ख़बर सामने आई है जहां, उत्तराखंड में भू-कानून और जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बयान दिया है. सीएम धामी ने कहा है कि जो भी उत्तराखंड के हित में होगा या उत्तराखंड की जनमानस के लिए जरूरी होगा, उस कानून को हम अमल पर लाएंगे.
जो उत्तराखंड की जनता हित में होगा वो करेंगे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पुराने फैसलों को बदलने के बारे में वे किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर काम नहीं करेंगे. लेकिन, जो उत्तराखंड की जनता और राज्य के हित में होगा, उसके लिए निश्चित तौर पर कदम उठाए जाएंगे.
नहीं है सख्त भू कानून लागू
उत्तराखंड में फिलहाल कोई भी सख्त भू कानून लागू नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि यहां आकर कोई भी कितनी भी जमीन अपने नाम से खरीद सकता है. पहाड़ी राज्यों में सस्ते दामों पर जमीन खरीदकर उसे बाहरी लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.
लोगों ने किया था स्वागत
राज्य बनने के बाद पहले दो साल तक बाहरी लोग यहां 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे. लेकिन जब 2007 में भुवन चंद्र खंडूरी सीएम बने तो उन्होंने इसे घटाकर 250 वर्गमीटर कर दिया. इस फैसले का लोगों ने स्वागत किया था.
नहीं कर पाए भूमि पर धन्नासेठ मनमाना कब्जा
उत्तराखंड के लोगों की मांग है कि उन्हें हिमाचल जैसा भू कानून चाहिए. हिमाचल प्रदेश में एक सख्त भू कानून है, यहां गैर हिमाचली जमीन नहीं खरीद सकता है. यानी बाहरी लोगों की घुसपैठ पर पूरी तरह से रोक है. हिमाचल में कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता. यहां के भूमि सुधार कानून में लैंड सीलिंग एक्ट और धारा-118 के कारण राज्य की भूमि पर धन्नासेठ मनमाना कब्जा नहीं कर पाए हैं।
पहले नहीं हुई कभी भू-कानून की ऐसी मांग
उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति भी अपनी पहचान बनाए रखना चाहती है. देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोग यदि उत्तराखंड में बेरोकटोक जमीन खरीद करते रहेंगे तो यहां के सीमांत एवं छोटे किसान भूमिहीन हो सकते हैं. हिमाचल ने इस संकट को अपने अस्तित्व में आने पर ही पहचान लिया था. भू-कानून की ऐसी मांग पहले कभी नहीं हुई, हमेशा से राजनीतिक दलों का एक मुद्दा रहने वाले भू कानून को युवाओं के हाथों में जाता देख बीजेपी की परेशानी बढ़ी है।