ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून: रात 12:30 बजे से शुरू हुई विद्युत विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल शुरू हो गई है। पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली, एसीपी, ग्रेड पे संविदा कर्मियों का नियमितीकरण जैसी 14 सूत्री मांग को लेकर कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू की गई। कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली की सप्लाई उत्पादन पर असर पड़ सकता है। सचिव ऊर्जा के साथ हुई बैठक विफल हो चुकी है।कर्मचारियों की हड़ताल से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ऊर्जा कर्मियों ने अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को उत्तराखंड सचिवालय में सचिव ऊर्जा सौजन्या के साथ वार्ता की. करीब चार घंटे की लंबी वार्ता के बाद भी दोनों के बीच किसी तरह की सहमति नहीं बनी है. आखिर में विद्युत अधिकारी कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने सोमवार रात 12 बजे से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है.
विद्युत अधिकारी कर्मचारी संघर्ष मोर्चा की शासन स्तर पर वार्ता विफल होने के बाद 26 जुलाई मध्यरात्रि से ऊर्जा के तीनों निगमों (यूपीसीएल, यूजेवीएनएल, पिटकुल) में बेमियादी हड़ताल शुरू हो जाएगी. उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले सोमवार को कर्मचारियों ने सचिव ऊर्जा सौजन्या से अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर बातचीत की थी.
इस दौरान सचिव ऊर्जा सौजन्या ने नई जिम्मेदारी मिलने के चलते कर्मचारियों से 3 महीने का वक्त मांगा. कर्मचारियों ने वक्त देने से इनकार कर दिया. कर्मचारियों ने कहा कि पिछले कई सालों से उनकी 14 सूत्रीय मांगें सरकार और शासन के सामने लंबित हैं. ऐसे में सरकार को और वक्त दिया नहीं जा सकता. लिहाजा 4 घंटे तक चली इस बातचीत के अंत में यह वार्ता विफल रही.
इस हड़ताल में ऊर्जा कर्मियों के 10 संगठन शामिल हो रहे हैं. 10 संगठनों से जुड़े करीब 3500 कर्मचारी हड़ताल करेंगे. इससे विद्युत सप्लाई व्यवस्था चरमरा सकती है. वैसे भी इन दिनों बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से राज्य में लोग बहुत परेशान हैं.
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ओर से लोगों को अपील भी जारी कर दी गई है कि 26- 27 जुलाई की मध्य रात्रि से होने वाली हड़ताल के मद्देनजर मोबाइल फोन चार्जिंग, टॉर्च आदि की व्यवस्था कर लें. ताकि विद्युत बाधित होने की सूरत में किसी को अप्रिय घटना का सामना ना करना पड़े.
ऊर्जा निगम के कर्मी इस बात से भी नाराज हैं कि सातवें वेतन आयोग में उनकी पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जो कि उन्हें उत्तर प्रदेश के समय से ही मिल रहीं थी. पे मैट्रिक्स में भी काफी छेड़खानी करने का आरोप है. संविदा कार्मियों को समान कार्य समान वेतन के विषय में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसके अलावा ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव अलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ.
इस हड़ताल में 10 संगठन शामिल हैं. उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन, हाईड्रो इलेक्ट्रिक इंप्लाइज यूनियन, उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन, उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ, उत्तराखंड पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन, विद्युत प्राविधिक कर्मचारी संघ, विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन, ऊर्जा आरक्षित वर्ग एसोसिएशन, उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी एसोसिएशन और पावर लेखा संघ.