ब्यूरो रिपोर्ट देहरादून. जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे उत्तराखंड में विधानसभा चुनाााव को लेकर सरगर्मियां तेज़ हो गई है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक बड़ा बयान आया है। त्रिवेंद्र रावत ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें असामयिक पद से हटा दिया गया, फिर भी उन्होंने पार्टी के फैसले का स्वागत किया। चुनाव से कुछ ही महीनों पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने एक इंटरव्यू में यह बात तब कही है जबकि 21 अगस्त से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड के दौरे पर आने वाले हैं. यही नहीं, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने देवस्थानम बोर्ड एक्ट के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्टैंड को भी खारिज किया है।
2017 में बहुमत मिलने के बाद सीएम बनाए गए रावत को इस साल अप्रैल में जब पद से हटाया गया तो दो चर्चाएं ज़ोरों पर रहीं, एक ये कि उनकी सरकार ने ‘बेहतर प्रदर्शन नहीं’ किया और दूसरे आगामी चुनाव के लिए भाजपा कोई ‘ताज़ा चेहरा’ चाहती थी. हालांकि इन बातों को रावत ने खारिज किया. बहरहाल ताज़ा इंटरव्यू में रावत ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाए जाने और फिर उन्हें भी हटाए जाने के कारणों के बारे में भी खुद को अनजान ही बताया.
पूर्व सीएम रावत ने इंटरव्यू में दावा किया कि आपदा के बाद केदारनाथ नगरी के पुनर्वास का मामला रहा हो, या लोक कल्याणकारी योजनाओं के अमल का, या फिर अगले चुनाव में बीजेपी की बहुमत के साथ वापसी की योजना को लेकर बातचीत की।
त्रिवेंद्र ने बयान देते हुए कहा कि इस वर्ष 9 अप्रैल को उन्हें पद से हटाने के बारे में उन्हें कोई भनक नहीं थी क्योंकि उनकी सरकार के कामकाज की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा की थी. ये बातें करते हुए रावत ने कहा कि अचानक उन्हें सीएम पद से हटाया जाएगा, इसका उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं था. ‘इसे सही फैसला नहीं कहा जा सकता, फिर भी पार्टी का आदेश था, तो मैंने संगठन के बेहतर कल के लिहाज़ से स्वीकार किया.’