देहरादून से शगुफता परवीन की रिपोर्ट: ऊर्जा निगम के कार्मिक पिछले 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था तथा उपनल के माध्यम से कार्य कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण एवं समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता कर रहे हैं। लेकिन पूरी नहीं होने पर ऊर्जा कर्मचारियो ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। जिसके बाद खुद हरक सिंह रावत ने मोर्चा सभांला।
तीनों ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित करने का ऐलान किया है। उत्तराखंड में हड़ताल पर बैठे तीनों ऊर्जा निगमों के 3500 से ज्यादा कर्मचारियों पर सरकार ने सख्ती बरती है। सोमवार और मंगलवार को वार्ता के बाद भी जब कर्मचारी नहीं माने तो सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा लगा दिया है।
अभी यह हड़ताल समाप्त ही हुई थी कि एक और हड़ताल की चेतावनी दी गई है। जी हां बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अब पेयजल कर्मचारियों ने भी हड़ताल की चेतावनी दी गई है। पेयजल निगम अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति ने आंदोलन का कार्यक्रम घोषित कर दिया है।
दरअसल पेयजल कर्मचारियों का आंदोलन 5 अगस्त से शुरू किया जाएगा। 21 अगस्त को सभी जिलों एवं शहरों में गेट मीटिंग की जाएगी। पेयजल कर्मचारी 18 सितंबर को गढ़वाल के सदस्य प्रधान कार्यालय पर धरना देंगे। 20 सितंबर को कुमाऊं के सदस्य मुख्य अभियंता दफ्तर हल्द्वानी में धरना देंगे।
25 से 27 अक्टूबर तक सभी जिलों शहरों में धरना दिया जाएगा।इसके बाद भी मांगे ना माने जाने पर पेयजल कर्मचारी 28 अक्टूबर से राज्यभर में बेमियादी हड़ताल पर जाएंगे। 4 माह से वेतन न मिलने, पेयजल निगम के राजकीयकरण ना होने समेत विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन किया जाएगा।