आंगनबाड़ी कार्यकर्तीयों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा ज्ञापन
रिपोर्ट भगवान सिंह: आज आंगनबाड़ी कार्यकर्ती सेविका मिनी कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों ने अपने मुख्यमंत्री से समय लेकर मुलाकात की। जिसमें उन्होंने समस्त समस्याओं पर चर्चा करते हुए अपनी बात को रखा और साथ ही गणेश जोशी से मुलाकात कर सरकार के सामने अपने पक्ष को रखने के लिए कहा।
उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री पद पर सुशोभित होने पर आंगनवाड़ी संगठन आपको हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए बधाई देता है आपसे अपेक्षा भी करता है कि आप हमारी समस्याओ को संज्ञान में लेते हुए हमारी मांगों को पूरा करने में मदद करेंगे।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विगत कई वर्षों से अपनी मांगों के लिए सरकार से निवेदन करते आ रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा झूठे आश्वासन अलावा अभी तक कुछ भी नहीं है। इसको लेकर हमारी मांगे निम्नलिखित हैं..
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आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को काम के बदले उचित दाम दिया जाय और उनका मानदेय न्यूनतम मजदूरी को देखते हुए ₹600 प्रति दिन के हिसाब से 18000 किया जाय.
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मिनी केन्द्रों में बच्चे अधिक होने के कारण और अकेली कार्यकर्ता होने के कारण कार्य अधिक होता है जिस कारण मिनी कार्यकर्ताओं को भी समान कार्य के लिए सम्मान मानदेय दिया जाय.
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आंगनबाडी सहायिकाओं के द्वारा केन्द्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ हर कार्य में पूर्ण रूप से सहभागिता निभाई जाती है जिस कारण सहायिकाओं के मानदेय में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अनुरूप 50/ मानदेय दिया जाता है संगठन आपसे सहायिकाओं के मानदेय में 75/ बढ़ोतरी, की अपील करता है.
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आगनबाडी कार्यकर्ताओं के विभागीय पदोन्नति में कई सालों से पदोन्नति नहीं की गई है. जिसमें 2020 मे विभाग द्वारा पदोन्नति के कुछ पोस्ट निकलने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की उम्र अधिक होने के कारण बहुत सारे पुराने कार्यकर्ता उस नियमों के कारण बाहर हो गये. जिस कारण संगठन द्वारा आपत्ति लगाई गई है.
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संगठन आपसे में पुरानी बहनों के उम्र में संशोधन करते हुए उन्हें पदोन्नति में सहयोग करते हुए आयु सीमा को हटाने का आदेश जारी करने की अपील करता है. साथ ही सहायिकाओं को उसी केन्द्र में पदोन्नति करने पर प्रथम वरीयता दी जाने का जीओ जारी करने की अपील करता है. सभी बहनों की पदोन्नति होना बहुत मुश्किल है लेकिन जिन बहनों की उम्र ज्यादा हो गई है तो उनको वरिष्ठता के आधार पर उनके मानदेय में अतिरिक्त बढ़ोत्तरी कर उनको पारितोषिक दिया जाय.
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को केन्द्र से परियोजना में महीने में दो से तीन बार बुलाया जाता है और विभागीय सामान को केन्द्र तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका द्वारा ढ़ोया जाता है. जब कि केंद्र से परियोजना की दूरी लगभग 40-से 50 किलोमीटर होती है और साथ ही उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति से आप भली भांति परिचित हैं. इन परिस्थितियों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का इतने कम मानदेय में परियोजना में जाने के लिए असमर्थ है जिस कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हर बार बुलाते जाने पर यात्रा भत्ता तत्काल दिया जाय,.
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सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ज़मीन स्तर पर हर कार्य को करवाने के लिए जिला अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी, एवं निर्वाचन अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, समाज कल्याण अधिकारी, आदि अन्य अधिकारियों द्वारा निर्धारित समय पर कार्य करने या ट्रेनिंग पर उपस्थित होने के लिए तत्काल सुपरवाइजर के माध्यम से अवगत कराया जाता है. जोकि क्षेत्रीय सुपरवाइजर द्वारा बिना लिखित पत्र के सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने कार्य को करते हुए उस विभाग को सूचना प्रेषित करते हैं, लेकिन कभी भी हमें इन विभागों द्वारा को ई भी सम्मान जनिक मानदेय नहीं दिया जाता है,जब कि महोदय हर विभाग में हर कार्य के लिए धनराशि निर्धारित होती है
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संगठन आपसे निवेदन करता है कि हमें हर विभाग के कार्य को करने के लिए उस विभाग से उचित मानदेय निर्धारित कर हमे दिया जाय जिससे प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने आर्थिक स्थिति के मजबूत होने पर क्षेत्रीय कार्यों को भली भांति कर सके,
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आंगनबाड़ी केन्द्रों में 0 से 6 वर्ष के बच्चों एवं गर्भवती/धात्री महिलाओं पोषाहार वितरण किया जाता है. जोकि आंगनबाड़ी केंद्रों में क्षेत्रीय माता समिति के अधीन में उसके रखरखाव कर वितरण किया जाता है. जिसमें समिति में क्षेत्रीय माता को उसका अध्यक्ष बनाया जाता है, और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उसमें सचिव रहती है . उसके बावजूद पूर्व में हाई कोर्ट द्वारा माता समिति द्वारा ही पोषाहार वितरण किये जाने का जीओ जारी किया गया था. बावजूद उसके भी पूर्व में विभागीय सरकार एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा यह कार्य एनजीओ के सानिध्य में पूरे उत्तराखंड में चल रहा है. उत्तराखंड राज्य जहां एक मीनू होना चाहिए वहीं प्रत्येक जिले में अलग-अलग मीनू बना हुआ है .
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संगठन मानता है कि ग्रीष्म कालीन और शीत कालीन मीनू में बदलाव होना स्वाभाविक है लेकिन प्रत्येक जिले में अलग-अलग समूहों द्वारा अलग-अलग मीनू से पोषाहार वितरण होने के सभी कार्यकर्ताओं को परेशानी का सबक बना हुआ हुआ है जबकि पोषाहार का सारा लेखा जोखा की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दी गई है.
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संगठन आपसे निवेदन करता है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में केवल क्षेत्रीय माता समिति ही पोषाहार वितरण करें जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्रीय माता समिति अध्यक्ष की होगी.
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विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में विभाग कार्य करने के लिए विभाग द्वारा मानदेय निश्चित किया जाता है लेकिन कार्य का निर्धारित मानदेय पहले तो समय पर नहीं मिलता जिससे की कार्यकर्ता अपनी जेब से कार्य का बखूबी निर्वहन करता है लेकिन फिर भी विभाग द्वारा उस धन राशि का कोई पता नहीं चलता.
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हमें विभागीय कार्य करने के लिए पहले हमें हमारे खातों में धनराशि मुहैया कराई जाय,.
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पहले दीपावली बोनस दिया जाता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोई भी बोनस नहीं दिया गया है.
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विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यूनिफॉर्म मिलती आ रही है पूर्व में विभागीय अधिकार ज्योति खैरवा द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की यूनिफॉर्म अच्छी कपड़े और अच्छी क्वालिटी की दिलाई गई. उसके बाद सरकार और विभागीय अधिकारियों द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए घटिया क्वालिटी के यूनिफॉर्म वितरण की गई . हमारी बार बार मांग करने पर एक साल हमारे खातों में 800 रु दिये गये लेकिन फिर से वही विभाग द्वारा इस बार हमें घटिया क्वालिटी की यूनिफॉर्म वितरण की गई है.
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हम चाहते हैं कि यूनिफॉर्म हमने पहननी है हमें यूनिफॉर्म का कोड बता कर हमारे खातों में धनराशि मुहैया कराई जाय जिससे प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी यूनिफॉर्म को अच्छी क्वालिटी की खरीद सकें.
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संगठन द्वारा अपनी मांगों को लेकर वर्तमान सरकार से हम लोगों ने 60 दिन तक धरना प्रदर्शन किया. जिसमें माननीय मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा जी द्वारा धरना समाप्त कराया गया था और आश्वासन दिया गया था कि हमारा मानदेय नहीं काटा जायेगा. लेकिन सरकार और विभागीय अधिकारियों के बीच सही तालमेल न होने के कारण अभी तक हमारा मानदेय नहीं मिला है.
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हमें लगभग 2 वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र का किराया नहीं मिला है जिससे सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बहुत परेशान हैं महोदय हमारा भवन किराया देने की कृपा कीजिएगा।